लालू के इर्द गिर्द घूमती विहार की राजनीति

पटना. लालू प्रसाद यादव का जन्म 11 जून 1947 को बिहार के गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में हुआ था. यानी 11 जून को वह 74 वर्ष के हो गए. भारत के सबसे सफल रेलमंत्रियों में से एक लालू प्रसाद यादव बिहार के ही नहीे देश के भी बड़े राजनीतिज्ञों में गिने जाते हैं. बीते तीन दशक की बात करें तो सूबे की सियासत इन्हीं के नाम के इर्द-गिर्द घूमती रही है. लालू का समर्थन की राजनीति हो या विरोध की पॉलिटिक्स, वह हमेशा बिहार की सियासत की धुरी हैं.
बीते विधानसभा चुनाव की बात करें या फिर साल 2019 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में वह हमेशा चर्चा के केंद्र में रहे. विपक्षी लालू विरोध के नाम के ही सहारे चुनावी मैदान में उतरे. वहीं, विरोधी दलों का महागठबंधन लालू यादव के नाम पर ही अपनी राजनीति को आगे बढ़ाते रहे. तुलना नीतीश राज बनाम लालू-राबड़ी की होती रही, तब भी इसके केंद्र में लालू ही रहे.
छात्र आंदोलन से राजनीति की शुरुआत
सियासत के माहिर खिलाड़ी लालू यादव की प्रारंभिक शिक्षा बिहार में गोपालगंज से प्राप्त की तथा कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे पटना चले आए. पटना के बीएन कॉलेज से इन्होंने लॉ में स्नातक तथा राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. लालू प्रसाद ने कॉलेज से ही अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की. इसी दौरान वे जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का हिस्सा बन गए. इसी दौरान जयप्रकाश नारायण, राजनारायण, कर्पुरी ठाकुर तथा सतेन्द्र नारायण सिन्हा जैसे राजनेताओं से मिलकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. 29 वर्ष की आयु में ही वे जनता पार्टी की ओर से 6ठी लोकसभा के लिए चुन लिए गए.
लालू प्रसाद यादव-राबड़ी देवी की 9 संतान
1 जून 1973 को इनकी शादी राबड़ी देवी हुई. लालू प्रसाद की कुल 7 बेटियां- मीसा भारती, रोहिणी आचार्य, लक्ष्मी यादव, रागिनी यादव, चंदा यादव, अनुष्का यादव, हेमा यादव और 2 बेटे तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव हैं जिनमें से सभी बेटियों और एक बेटे तेज प्रताप की शादी हो चुकी है
लालू प्रसाद 10 मार्च 1990 को पहली बार बिहार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तथा दूसरी बार 1995 में मुख्यमंत्री बने. 1997 में लालू प्रसाद जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल पार्टी बनाकर उसके अध्यक्ष बने. 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में ये बिहार के छपरा संसदीय सीट से जीतकर केंद्र में यूपीए शासनकाल में रेलमंत्री बने. इस दौरान उन्होंने कई अहम काम किए जिसकी तारीफ भारत के साथ-साथ दुनिया के दूसरे देशों में भी हुई. IIM से लेकर हार्वर्ड तक उनके काम और मैनेजमेंट स्किल्स की चर्चा हुई.
रेल मंत्री रहते हुए लालू ने स्टेशनों पर प्लास्टिक के कप की जगह कुल्हड़ों में चाय बेचने का ऑर्डर दिया ताकि ग्रामीण इलाकों में रोजगार बढ़े. गरीब रथ लालू की ही देन है. कहा जाता है कि बिना किराया बढ़ाए लालू ने रेलवे को मुनाफा दिलाया था. 2009 में एक बार फिर वे लोकसभा के लिए चुन लिए गए. लालू प्रसाद पर 9.50 बिलियन के चारा घोटाले का आरोप भी है, जो इन्होंने अपने बिहार के मुख्यमंत्री के शासनकाल में किया था. इसी सिलसिले में वे कई बार जेल भी जा चुके हैं.
इससे पहले लालू प्रसाद 8 बार बिहार विधानसभा के सदस्य भी रह चुके हैं तथा 2004 में वे पहली बार बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने. 2002 में छपरा संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में वे दूसरी बार लोकसभा सदस्य बने. लालू प्रसाद अपने बोलने की शैली के लिए मशहूर हैं. इसी शैली के कारण लालू प्रसाद भारत सहित विश्व में भी अपनी विशेष पहचान बनाए हुए हैं.
लालू प्रसाद यादव के ऊपर भ्रष्टाचार के कई केस हैं. 1997 में चारा घोटाले में नाम आने के बाद उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री का पद अपनी पत्नी को सौंप दिया था और जेल चले गए थे. सितंबर 2013 में कोर्ट ने एक बार फिर उन्हे दोषी करार देते हुए पांच साल जेल की सजा सुनाई लेकिन वो दिसंबर में बेल पर छूट गए. साल 2018 में कोर्ट ने अलग-अलग केसों में उन्हे सजा सुनाई. एक केस में उन्हे 14 साल की सजा भी सुनाई गई है. 15वीं लोकसाभा में लालू प्रसाद यादव सारन निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आए थे लेकिन चारा घोटाले में नाम आने के बाद वो अयोग्य हो गए.
इनकी रुचि खेलों तथा सामाजिक कार्यों में भी रही है. 2001 में वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. करीब 31 सालों के उनके राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन बिहार की राजनीति के केंद्र में वही रहे. चारा घोटाला में लंबे समय तक जेल में रहने के बावजूद विपक्ष की राजनीति उनके आसपास ही घूमती दिखी. बीते 12 मई को वे जमानत पर रिहा हो चुके हैं और फिलहाल दिल्ली में अपनी बड़ी बेटी मीसा भारती के यहां है. अब उनके पटना लौटने की खबरें सामने आ रही हैं. माना जा रहा है कि अगर वे पटना लौटते हैं तो बिहार की सियासत फिर नये सिरे से गरमा सकती है.