एलएसी और नॉर्थ ईस्ट की तैयारी पर सेना को मिलेगी काफी सहयोग
नई दिल्ली. चीन के साथ बीते एक साल से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे सीमा विवाद के बीच भारतीय सेना ने बड़े स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर लिए हैं. एलएसी और नॉर्थ ईस्ट के इलाकों में सेना ने ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है जिससे जवानों को सर्दियों के मौसम में -45 डिग्री में भी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
बीते साल जब चीन के साथ अप्रैल-मई महीने में विवाद की शुरुआत हुई थी तब भारतीय सैनिकों के लिए सर्दी का मौसम सबसे बड़ा चैलेंज माना जा रहा था. लेकिन बीते 12 महीने के दौरान सेना ने बहुत बड़ी संख्या में जवानों के रहने के लिए बेहतरीन व्यवस्था की है. एक सरकारी सूत्र ने बताया है-विवाद की वजह से सेना ने 12 महीने में उतने इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम किया जो अगले पांच साल में तैयार किए जाने थे. इस वक्त जितने सैनिक लद्दाख में तैनात हैं उनसे दोगुनी संख्या इन इंफ्रास्ट्रक्चर में आराम से रह सकती है.
पूर्वी लद्दाख के बेहद ठंडे इलाकों में जवानों के लिए स्थाई तौर पर ठिकाना बनाना एक बड़ी समस्या है. अब जो नए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए गए हैं वो किसी प्लास्टिक के घर सरीखे लगते हैं. इन स्ट्रक्चर्स में जवानों के रहने के लिए सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. पूर्वी लद्दाख के इलाके में भले ही डिस्इंगेजमेंट की प्रक्रिया हुई हो लेकिन चीन के पहले इतिहास को देखते हुए भारत की तरफ से पूरी सतर्कता बरती जा रही है
एक आंकड़े के मुताबिक इस साल की शुरुआत तक एलएसी पर भारत और चीन दोनों ही तरफ से करीब 50 हजार सैनिकों की तैनाती की गई थी. सूत्रों का कहना है कि इस वक्त भी इंजीनियर कॉर्प्स इन इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने का काम कर रही है. बीते समय में भारत लगातार एलएसी के पास इलाकों में सड़क निर्माण पर बेहद तेजी के साथ काम कर रहा है. निमू-पदम-दारचा में काम की रफ्तार को बढ़ाया गया जिससे जवानों को देश के विभिन्न हिस्सों से लद्दाख पहुंचने में आसानी होगी. जल्द ही रक्षा मंत्रालय एक नई सड़क से जोड़ने के लिए करीब साढ़े चार किलोमीटर की सुरंग भी पास कर सकता है.
बता दें चीन के साथ विवाद जून 2020 में गलवान घाटी की घटना के बाद बेहद गंभीर हो गया था. इस घटना में कई जवानों की शहादत के बाद भारत ने सख्त रुख अख्तियार किया था. सीमा विवाद के बीच भारत की तरफ से चीन को स्पष्ट संदेश दिया गया कि सीमाओं पर अशांति के साथ दोनों देशों के संबंध सामान्य नहीं हो सकते.