उत्तर प्रदेश

श्मशान घाट पर दो परिवार पहले अंत्येष्टि करने के लिए भिड़े, कोरोना महामारी का कमाल

बरेली :एक ऐसा भी समय आ गया है, जिसमें अंत्येष्टि करने के लिए विवाद हो रहा। लोग श्मशान भूमि में पहले अंत्येष्टि करने के लिए झगड़ा करते हैं। ऐसा ही एक वीडियो वायरल हुआ। जिसमें कुछ लोग चिता की लकड़ी से एक-दूसरे को मारने के लिए आमादा दिख रहे हैं। हालांकि लोगों ने समझाकर झगड़ा शांत करा दिया। एक परिवार को जमीन पर ही अंत्येष्टि करनी पड़ी। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है, श्मशान भूमि में संक्रमण को देखते हुए, मौत का ग्राफ बढ़ गया है। सामान्य मौत और कोविड से मरने वाले लोगों के बड़ी संख्या में शव पहुँचते हैं। प्रतिदिन 30 से 35 अंत्येष्टि सिटी शमशान भूमि और 25 से 30 मॉडल टाउन श्मशान भूमि हो रही हैं।

अंत्येष्टि करने को श्मशान भूमि में चबूतरे बने हैं। जब चबूतरे खाली ही नहीं होंगे तो अंत्येष्टि कहां करें? यही विवाद बनता जा रहा है। क्योंकि, जब एक साथ कई शव अंत्येष्टि को पहुंचते हैं, तो लोगों में खाली चबूतरे पर चिता बनाने के लिए भगदड़ मचती है। श्मशान भूमि में आने वाले चाहते हैं, जल्दी- जल्दी अंत्येष्टि करें और वापस जाएं। डर, कोरोना का है। हर रोज श्मशान भूमि में कई कोविड संक्रमित शव अंत्येष्टि को पहुंचते हैं। हर कोई चाहता है। जल्दी से अंत्येष्टि हो जाए। क्योंकि, एक चिता को जलने में तीन घंटे लग जाते हैं। मंगलवार को एक ऐसा ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जो सिटी श्मशान में भूमि का था। यह एक चबूतरे के पास उपले और लकड़ी पड़ी थी।

दो लोग उस चबूतरे पर अंत्येष्टि करने के लिए जिद कर रहे हैं। हंगामा होने लगा। विवाद मारपीट तक पहुंच गया एक युवक ने चिता की लकड़ी उठाकर हमला करने का प्रयास किया। उसे लोगों ने पकड़ लिया। दोनों पक्षों को समझाया गया। इसके बाद पहले आने वाले ने व्यक्ति ने शव की अंत्येष्टि उस चबूतरे पर कराई। जबकि दूसरे ने जमीन। शमशान भूमि केयर टेकर का कहना है, कोविड के चलते कई दिनों से अंत्येष्टि को शव अधिक आ रहे हैं। चिता वाले चबूतरे कम पड़ जाते हैं। हर रोज दो चार शवों की अंत्येष्टि अंत्येष्टि जमीन पर कराई जा रही है। यह आपसी समझ की बात है। सीओ थर्ड कहना है, चिता कालीबाड़ी के किसी व्यक्ति ने बनाई। इज़्ज़तनगर के किसी दूसरे व्यक्ति ने उस चिता पर अपने परिवार के किसी सदस्य का शव रख दिया था। इसी बात को लेकर झगड़ा हुआ। पुलिस से किसी पक्ष ने शिकायत नहीं की।

 

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