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नुकसानदायक हो सकता है अधिक नमक खाना

रंजना मिश्रा-

कहते हैं नमक स्वादानुसार खाना चाहिए लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि नमक स्वास्थ्यानुसार खाना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एक व्यक्ति को दिनभर में औसतन 2 हजार कैलोरी की आवश्यकता होती है, इसमें नमक की कुल मात्रा 5 ग्राम ही होनी चाहिए इससे अधिक नहीं। ज्यादा नमक शरीर के लिए नुकसानदायक है और शरीर को खोखला कर सकता है। नमक और चीनी दोनों ही अधिक मात्रा में खाना नुकसानदायक होता है।
ब्रिटेन की एक संस्था ‘एक्शन ऑन साल्ट’ ने हेल्दी स्नैक्स कहे जाने वाले 119 पैकेज्ड फूड पर सर्वे किया। जिसमें यह सामने आया कि 43 फीसदी हेल्दी प्रोडक्ट्स में नमक, फैट और शुगर की मात्रा जरूरत से ज्यादा है, जबकि इन चीजों के कम इस्तेमाल से भी यह स्नैक्स बनाए जा सकते हैं। लंदन की “क्वीन मैरी’ यूनिवर्सिटी की इसी रिसर्च टीम ने पाया कि ऐसे हेल्दी फूड्स जिन पर लेस फैट, नो ऐडेड शुगर या क्लूटन फ्री जैसी जानकारियां दी गई थीं, इनमें भी नमक की मात्रा जरूरत से ज्यादा थी। ब्रिटेन में हेल्दी स्नैक्स कहकर बेचे जा रहे सौ ग्राम चिप्स के पैकेट में 3.6 ग्राम नमक पाया गया, जो दिन की जरूरत यानी 5 ग्राम के काफी करीब है। हेल्दी स्नैक्स में मौजूद नमक, समुद्र के पानी में मौजूद नमक की मात्रा से भी ज्यादा है। समुद्र के 100 मिलीलीटर पानी में 3.5 ग्राम नमक पाया जाता है और इसे पीने लायक नहीं माना जाता। तात्पर्य यह है कि हम जिन्हें हेल्दी स्नैक्स समझकर खाते हैं, वास्तव में उतने हेल्दी हैं नहीं।
भारत में बिकने वाले स्नैक्स का भी लगभग यही हाल है। विज्ञान के क्षेत्र में रिसर्च करने वाली संस्था ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट’ की एक स्टडी में पाया गया कि भारतीय बाजारों में बिकने वाले जंक फूड में नमक की मात्रा तय सीमा से कहीं ज्यादा है। इस संस्था ने कुछ मशहूर ब्रांड के पिज्जा, बर्गर, सैंडविच, चिप्स व इंस्टेंट नूडल्स के सैंपल लिए और उनकी जांच की।

जिसमें पाया गया कि खाने-पीने की इन चीजों में नमक जरूरत से ज्यादा या खतरनाक स्तर पर था। सर्वे में भारत में बिकने वाले मल्टीग्रेन चिप्स और बेक्ड स्नैक्स को भी शामिल किया गया। दिल्ली के अलग-अलग बाजारों से 33 सैंपल लिए गए और इन सैंपल्स की लैब में जांच की गई, इनमें से 14 सैंपल चिप्स, नमकीन और सूप के थे, 19 सैंपल बर्गर, पिज्जा और फ्रेंच फ्राइज के थे। जांच से पता चला कि मल्टीग्रेन चिप्स के 30 ग्राम के पैकेट में 5.1 ग्राम नमक था, 230 ग्राम आलू की भुजिया में नमक की मात्रा 7 ग्राम थी, 70 ग्राम इंस्टेंट नूडल्स में नमक की मात्रा 5.8 ग्राम पाई गई, इंस्टेंट सूप में 11.07 ग्राम नमक पाया गया। इससे पता चलता है कि इन प्रोडक्ट्स में मौजूद नमक की मात्रा किसी व्यक्ति के लिए एक दिन में खाए जाने वाले नमक की आवश्यक मात्रा से भी अधिक है।
इस रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है कि जिस प्रकार शाकाहारी एवं मांसाहारी खाने के पैकेट पर हरे व लाल रंग के निशान लगे होते हैं, उसी प्रकार नमक की मात्रा ज्यादा होने पर भी पैकेट के ऊपर चेतावनी लिखी जानी चाहिए, जिससे खरीदने वाले को सही जानकारी मिल पाए। भारत में खाने-पीने की चीजों के मानकों को तय करने वाली संस्था ‘फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया’ के मुताबिक पैकेट बंद खाने में नमक एवं फैट की मात्रा बताना जरूरी है। यदि पैकेट पर नमक या फैट की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो तो पैकेट के सामने वाले हिस्से पर वार्निंग लेबल लगाना आवश्यक है। प्रोसैस्ड फूड यानी पैकेट में नमक की मात्रा इसलिए ज्यादा होती है क्योंकि नमक प्रिजर्वेटिव का काम भी करता है इसके अलावा पैकेट में डाले गए दूसरे केमिकल्स और कलर के टेस्ट को कम करने के लिए भी नमक ज्यादा मात्रा में डाला जाता है।

अधिक नमक का इस्तेमाल हाईब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है, ज्यादा नमक खाने से शरीर में पानी बहुत ज्यादा मात्रा में जमा होने लगता है, इसे वाटर रिटेंशन या फ्लुएड रिटेंशन कहते हैं। ऐसी स्थिति में हाथ, पैर और चेहरे पर सूजन आ जाती है। शरीर में ज्यादा नमक की मात्रा से डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। ज्यादा नमक दिल की बीमारियों के खतरे को बढ़ा देता है। ज्यादा नमक से कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है और पथरी की समस्या हो सकती है। नमक की अधिकता किडनी और दिमाग से संबंधित कई बीमारियों को जन्म दे सकता है।
भारत दुनिया का दूसरा देश है जहां डायबिटीज के सबसे अधिक मरीज हैं। दिसंबर 2019 तक हमारे देश में 7 करोड़ 70 लाख डायबिटीज के मरीज पाए गए। हाईब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या 20 करोड़ से ज्यादा है। दिल की बीमारियों के मरीज चार करोड़ से ज्यादा हैं। किडनी के मरीजों की संख्या 5 लाख से ज्यादा है, इन सभी बीमारियों का एक कारण ज्यादा नमक खाना भी हो सकता है। नमक सदा आयोडीन युक्त ही खाना चाहिए। बहुत कम नमक खाना भी नुकसानदायक है, इससे सोडियम की कमी हो सकती है, जिससे हार्मोन्स का स्तर बिगड़ सकता है व दिमाग सुस्त हो सकता है।

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