वक़्फ़ सम्पत्तियों में लूट करने वालों की अब खैर नहीं!
गोरखपुर । वक़्फ़ सम्पत्तियों में लूट करने वालों की अब खैर नहीं है । वक़्फ़ संपत्तियों को लेकर सरकार के सख्त तेवर के बाद पिछले दिनों मिर्जा अली अब्बास की तहरीर पर वक़्फ़ अशरफुन्ननिशा खानम की सम्पत्तियों को व्यक्तिगत बताकर बेचने वाले आगा मोहम्मद सय्यदैन उर्फ सज्जू पुत्र स्वर्गीय अफजल हुसैन तथा आगा मोहम्मद हसनैन उर्फ अज्जू पुत्र स्वर्गीय अफजल हुसैन निवासीगण बसंतपुर थाना राजघाट गोरखपुर के विरुद्ध राजघाट थाने पर धारा 419, 420, 406 के अंतर्गत मुकदमा अपराध संख्या 32/2021 दर्ज किया गया।
बताते चलें कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और शिया वक्फ बोर्ड के तहत पूरे प्रदेश में वक्फ संपत्तियों के रखरखाव के लिए उनके मुतवल्ली की जिम्मेदारी तय है। बोर्ड की तरफ से मुतवल्ली की ज़िम्मेदारी है कि वह वक़्फ़ संपत्तियों की सिर्फ देखभाल करने वाला होता है न कि उसका मालिक।
गोरखपुर जिले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के अंतर्गत लगभग एक हजार रजिस्टर्ड वक़्फ़ हैं जबकि शिया वक्फ बोर्ड में गोरखपुर जिले से मात्र दो वक़्फ़ पंजीकृत है। पहला वक़्फ़ नम्बर 1-2510 वक़्फ़ कनीज़ जैनब और दूसरा वक़्फ़ नम्बर 1524 वक़्फ़ अशरफुन्ननिशा खानम।
इनमें से पहला वक़्फ़ कनीज़ हसनैन मौसूमा इमामबाड़ा नब्बन साहब एक छोटा वक़्फ़ है जबकि वक़्फ़ अशरफुन्ननिशा खानम के तहत गोरखपुर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर और फैज़ाबाद समेत कई अन्य जिलों में अकूत सम्पत्तियां दर्ज हैं जिसपर एक परिवार का कब्ज़ा है।
वक़्फ़ अशरफुन्ननिशा खानम में भ्रष्टाचार की शिकायत पिछले दिनों गोरखपुर दौरे पर आए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा से भी की गई है।
इस वक़्फ़ की संपत्ति को व्यक्तिगत संपत्ति बताने की होड़ में गोरखपुर जिले में इमामबाड़ा अशरफुन्ननिशा खानम जो गीता प्रेस के सामने स्थित है, का नाम बदल कर इमामबाड़ा आगा असगर हुसैन के दिया गया।
बहरहाल जैसे जैसे योगी सरकार वक़्फ़ के लुटेरों पर शिकंजा कस रही है, वक्फ संपत्तियों में लूट करने वालों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। बताते चलें कि सरकार द्वारा गोरखपुर समेत प्रदेश भर में वक्फ संपत्तियों के सीमांकन का आदेश पिछले 23 फरवरी को दिया गया है जिसके बाद उपायुक्त वक़्फ़/जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के कार्यालय में संपत्तियों का ब्यौरा इकट्ठा करने की प्रक्रिया में तेजी आ गई है।
ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि वक़्फ़ अशरफुन्ननिशा खानम की संपत्तियों को निजी संपत्ति बताकर बेचने और इमामबाड़े के बोर्ड से अशरफुन्ननिशा खानम का नाम हटाकर अपने बापदादाओं का नाम लिखवाने वालों पर क्या कार्रवाई होती है।