अंतराष्ट्रीय

नहीं आई काम पैंतरेबाजी पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार

इस्लामाबाद :आतंकवादियों को बढ़ावा देने के लिए दुनियाभर में कुख्यात पाकिस्तान को एक और करारा झटका लगा है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है। एफएटीएफ ने कहा, ”पाकिस्तान को सभी 1267 और 1373 नामित आतंकवादियों के खिलाफ वित्तीय प्रतिबंधों के कार्यान्वयन को लेकर काम करना होगा।” मालूम हो कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले कुछ महीनों में आतंकियों के खिलाफ दिखावटी कदम उठाए थे, लेकिन जानकारों ने इन कदमों को एफएटीएफ की ‘मार’ से बचने के लिए उठाया जाने वाला कदम बताया था।

एफएटीएफ के अध्यक्ष डॉ मार्कस प्लेयर ने प्रेस ब्रीफिंग में जानकारी देते हुए बताया कि पाकिस्तान अभी भी निगरानी में ही रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने कुछ महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन कई गंभीर कमियां बनी हुई हैं। उन्होंने आगे कहा, “ये सभी क्षेत्र आतंकी वित्तपोषण से संबंधित हैं। 27 में से तीन (बिंदुओं) पर पूरी तरह से कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।” यह कहते हुए कि पाकिस्तान ने ‘प्रगति’ की है, एफएटीएफ अध्यक्ष ने कहा कि हम प्लान को पाकिस्तान द्वारा पूरा करने का आग्रह करते हैं।

एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने पिछले साल पाकिस्तान को आगाह किया था कि उसे इस तरह के मुद्दों को हल करने के लिए जिंदगीभर का मौका नहीं दिया जाएगा और एक्शन प्लान देने में बार-बार असफल होने पर उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा था और इस्लामाबाद को 2019 के अंत तक आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए कार्ययोजना को लागू करने के लिए कहा था, लेकिन बाद में कोविड-19 महामारी के कारण यह समयसीमा बढ़ा दी गई थी। अक्टूबर 2020 में आयोजित अंतिम पूर्ण सत्र में, एफएटीएफ ने निष्कर्ष निकाला था कि पाकिस्तान फरवरी 2021 तक अपनी ग्रे लिस्ट में जारी रहेगा क्योंकि यह वैश्विक धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी के 27 में से छह दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा है।
कुछ यूरोपीय देशों, विशेष रूप से मेजबान फ्रांस ने, एफएटीएफ को पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाये रखने की सिफारिश की है और यह रुख अपनाया है कि इस्लामाबाद द्वारा सभी बिंदु पूरी तरह से लागू नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अन्य यूरोपीय देश भी फ्रांस का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि कार्टून मुद्दे पर इस्लामाबाद की हालिया प्रतिक्रिया से फ्रांस खुश नहीं है। पाकिस्तान ने पेरिस में एक नियमित राजदूत भी तैनात नहीं किया है।

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