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जल की मांग हर एक स्तर पर, आपूर्ति की अपनी एक सीमा : योगी आदित्यनाथ

 

लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मांग और आपूर्ति में जब भी असंतुलन होगा, तो समस्याएं खड़ी होंगी। जल की मांग हर एक स्तर पर है। लेकिन, आपूर्ति की अपनी एक सीमा है। मांग और आपूर्ति की सीमा में जब भी विषमता हुई, वहां पर अति दोहित विकासखंड प्रदेश के अंदर बनते हुए दिखाई दिए। मुख्यमंत्री रविवार को भूगर्भ जल अधिनियम वेब पोर्टल, चेक डैम और तालाबों का लोकार्पण करने के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश अटल भू-जल योजना के अंतर्गत पहले मात्र दस जनपद चयनित थे। लेकिन, जल की उपयोगिता और आने वाले समय में जो मांग थी, उसको ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने निर्णय किया कि इसको सभी 75 जनपदों में एक साथ लागू करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 2017 में हम सत्ता में आए तो बताया गया कि प्रदेश के अंदर लगभग 200 विकासखंड यानी एक चौथाई ब्लॉक को डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि हमने जांच कराई कि तो पता चला कि 1994 के पहले के सर्वे में यह बात सामने आई थी। उन्होंने कहा कि 1994 के बाद तमाम सरकारें आईं, उन्हें इस बारे में विचार करना चाहिए था कि हम अतिदोहित विकास खंडों को एक सामान्य क्षेत्र के रूप में फिर से वापस लाने के लिए जल संरक्षण के अभियान के साथ जोड़े। उन्होंने कहा कि कुछ प्रयास प्रारम्भ हुए। लेकिन, जिस बड़े पैमाने पर काम होना चाहिए था, वह नहीं हुआ। इस वजह से 2017 तक यह सभी विकासखंड डार्क जोन के रूप में जाने जाते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसा प्रकृति और परमात्मा के वरदान से अभीसंचित प्रदेश अगर अपने को डार्क जोन घोषित कर देगा तो स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यहां पर पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक जल संसाधन मौजूद हैं। सरफेस वाटर और ग्राउंड वाटर की मौजूदगी है। इन सब के बावजूद अगर हमारे प्रदेश का एक चौथाई क्षेत्रफल डार्क जोन में आ जाए तो हम सब के लिए यह आसन्न संकट की चेतावनी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शासन-प्रशासन और विभिन्न संगठनों, समितियों ने मिलकर आज इसमें काफी सुधार किया है। उनहोंने कहा कि इसी कड़ी में और सुधार करने के लिए हम लोगों ने 2019 में उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल (प्रबंधन एवं विनियमन) अधिनियम बनाया। इस अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश और जनपद स्तर पर जल प्रबंधन समितियों के गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के साथ ही एक प्रक्रिया प्रारंभ की गई कि जितने भी शासकीय भवन होंगे उनको रेन वाटर हार्वेस्टिंग के साथ जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा शासन और जनपद स्तर पर अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे यह प्रयास हमें कल पर नहीं छोड़ना है। आज ही इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाना होगा, क्योंकि जल है तो कल है। जल के बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि जहां पर हमने इसकी उपेक्षा की है, वहां पर जापानी इंसेफलाइटिस, एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम, आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसी समस्याएं आई हैं। यह जल के प्रति हमारी उदासीनता को व्यक्त करती हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की जितनी भी बीमारियां हैं, वह इसलिए हो रही हैं क्योंकि हमने जल के महत्व को नहीं समझा और जल को अपने स्वार्थ के लिए प्रदूषित किया। इसके साथ ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर ध्यान नहीं दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति प्रदत इस अनमोल खजाने को हमने बहने दिया और उसका परिणाम हुआ कि एक चौथाई उत्तर प्रदेश देखते ही देखते डार्क जोन में बदल गया। वहीं पिछले तीन साढ़े तीन वर्षों के दौरान हमने प्रयास कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, पुराने तालाबों के पुनरुद्धार की कार्रवाई को मजबूती से आगे बढ़ाया गया, जगह-जगह चेकडेम बनाकर बरसात में नदी और नालों में बहने वाले पानी को रोककर उसके संरक्षण के जरिए भूगर्भ जल स्तर को उठाने का कार्य किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन प्रयासों ने बहुत सारे क्षेत्रों में जल के स्तर को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका का निर्वहन किया है। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने इंसेफेलाइटिस की लड़ाई को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया है और इस लड़ाई में शासन की अंतर्विभागीय समितियों की भूमिका रही। हमने 95 प्रतिशत मौत के आंकड़ों को नियंत्रित किया है। इस सफलता के पीछे दो कारण एक स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर घर में शौचालय बनाना और दूसरा घरों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति कराना रहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब ये कार्य एक साथ प्रारंभ हुए तो इसका परिणाम सामने आया कि 95 फीसदी मौतें कम हो गई हैं। शेष 05 प्रतिशत से कम मौतें भी हम आने वाले समय में नियंत्रित करने में सफल होंगे। लेकिन, हमारे सामने चुनौती अभी भी है। उन्होंने कहा कि वहीं जितने भी शासकीय भवन है, इन सब में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की कार्रवाई हमें आगे बढ़ानी है। हमने सामान्य व्यक्तियों और किसानों को इससे मुक्त रखा है। लेकिन, जो व्यक्ति बड़ा मकान बना रहा है, वह अगर पच्चीस तीस हजार रुपये खर्च करके रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करेगा तो उसके घर के आसपास का भूगर्भीय जलस्तर हमेशा सही बना रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी तरह आज जो वेब पोर्टल जारी किया जा रहा है। वह एक सिंगल विंडो प्लेटफार्म भी देगा। इसके जरिए लोग घर बैठे ही ऑनलाइन एनओसी प्राप्त कर सकेंगे। उन्हे इधर-उधर चक्कर नहीं काटने होंगे।

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