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ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर हुए हमले के 3 दोषियों को सजा

लाहौर :पाकिस्तान में लाहौर के एंटी टेररिज्म कोर्ट (एटीसी) ने देश के पंजाब प्रांत में स्थित ननकाना साहिब गुरुद्वारा में तोड़फोड़ के तीन दोषियों को दो साल तक की कैद की सजा सुनाई है. मामला पिछले साल का है जब एक सिख लड़की का धर्म परिवर्तन और फिर जबरन शादी कराने के बाद मुस्लिमों और सिखों के बीच तनावपूर्ण माहौल बन गया था.

लाहौर के पास स्थित ननकाना साहिब को गुरुद्वारा जन्म स्थान के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव का जन्म यहीं पर हुआ था. लेकिन पिछले साल जनवरी में, एक हिंसक भीड़ ने गुरुद्वारे पर हमला किया और धर्म के नाम पर पथराव किया तथा अल्पसंख्यकों के पूजा स्थल (गुरुद्वारा जन्म स्थान) को “गुलाम-ए-मुस्तफा” स्थल बनाने के लिए नष्ट करने की धमकी दी. हालांकि, पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया था.

कोर्ट के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी को बताया कि मंगलवार को लाहौर के एक एटीसी ने मुख्य आरोपी इमरान चिश्ती को दो साल की जेल की सजा सुनाई और 10,000 रुपये का जुर्माना लगा दिया. जबकि दो अन्य आरोपियों (मोहम्मद सलमान और मोहम्मद अहमद) को छह-छह महीने की सजा हुई है. हालांकि, चार अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.

एंटी टेररिज्म कोर्ट की ओर से सजा सुनाए जाने के समय सभी आरोपी अदालत में मौजूद थे. धार्मिक तत्वों द्वारा उनकी सजा के मद्देनजर किसी भी प्रदर्शन को संभालने के लिए सख्त सुरक्षा उपाय किए गए थे.

इमरान चिश्ती मत्स्य विभाग में काम करने वाला एक सरकारी कर्मचारी है और जबकि 2 अन्य संदिग्धों को पिछले साल गुरुद्वारे पर हुए हमले के बाद आतंकवाद और ईश निंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें पाकिस्तान दंड संहिता (PPC) और 7-एटीए (एटी टेरिरिज्म एक्ट) की धारा 295 ए, 290, 291, 341, 506, 148 और 149 के तहत आरोपों का सामना करना पड़ा.
एफआईआर के अनुसार, इमरान चिश्ती ने धर्म के नाम पर मुस्लिम भीड़ को उकसाया था. वह अपने परिवारिक मुद्दे को सुलझाना चाहता था इसलिए ननकाना शहर में कानून-व्यवस्था खराब करने की कोशिश की. पुलिस का कहना है कि चिश्ती ने अपने “पारिवारिक मामले” के लिए सिखों के खिलाफ मुस्लिम लोगों को जानबूझकर गुमराह किया था.
दोषी चिश्ती के बड़े भाई मोहम्मद हसन जिन्होंने सितंबर, 2020 में एक किशोरी सिख लड़की जगजीत कौर का कथित रूप से अपहरण करने और उसे इस्लाम में धर्म परिवर्तन करने शादी की थी. लाहौर के महज 80 किलोमीटर दूर ननकाना साहिब के मुसलमान और सिख इस मामले को लेकर आमने-सामने आ गए थे.

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