नशे की गिरफ्त में युवा, जिम्मेदार बेपरवाह
-पंचायत चुनाव में होने लगा नशा के बदले सहारे वोट का सौदा
मथुरा। कान्हा की नगरी में युवा नशे की गिरफ्त में हैं। लगातार नशा युवाओं को मौत की ओर ले जा रहा है। कई बार सडक हादसों की वजह भी यह नशा बन रहा है। अधिकांश युवा आॅटो चालक नशे में ड्राइविंग करते हैं। मथुरा में अभी तक नशे के आदी चालकों पर चाबुक चलना बाकी है। वहीं परचून की दुकान से लेकर मेडिकल स्टोर तक पर नशे का कारोबार हो रहा है। दूसरे प्रदेशों की टीमें कई बार यहां छापामार कार्रवाही कर चुकी है। कोसीकला में नकली दवाओं और नशा के काराबार का भंडाफोड हुआ है। बावजूद इसके औषधि विभाग कुभंकरण नींद सो रहा है। गैर जिम्मेदार अधिकारियों की जुबान भी उतनी ही गैरजुम्मेदार हो चली है। जब इस बारे में औषधि विभाग में तैनात इंस्पेक्टर अनिल आनंद से बात की गई तो उन्होंने कहाकि वह चाहते हैं कि कार्रवाही करें लेकिन कई तरह की मजबूरियां हैं। दूसरे तमाम विभागों की तरह इस विभाग में भी कर्मचारियों की कमी का रोना रोया जा रहा है। इंस्पेक्टर अनिल आनंद कहते हैं कि मेरे पास कोई कर्मचारी नहीं है मुझ पर काम का बोझ बहुत है कार्रवाई करने में असमर्थ हूं। शहर से देहात तक नशा के कारोबार का मकडजाल बिछा हुआ है। पंचायत चुनावों में तो शराब से वोट का सौदा एक परंपरा सी बन चुकी है। लगातार महंगे होते जा रहे पंचायत चुनावों में नशा माफिया की पैठ भी गहरी होती जा रही है। ऐसे में विभाग को जहां सक्रियता दिखाते हुए इस पर अंकुश लगाना चाहिए था विभाग खुद संसाधनों की कमी का रोना रोने लगा है। छाता और कोशी नशीले इंजेक्शन का हब का है कई बार छापे के दौरान लाखों की नशीली दवाई भी पकडी थी अवैध कारोबारी जैल की हवा खा रहे हैं।