भारत में टीकाकरण की तैयारियों पर होगा असर?
विशेषज्ञों का कहना है कि नए स्ट्रेन में वायरस की आनुवांशिक संरचना में बदलाव नहीं दिख रहा है। इसलिए उम्मीद है कि जो टीके तैयार हुए हैं, वह इस वायरस पर भी कार्य करेंगे। भारत समेत दुनिया के कई देशों में टीकाकरण की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और कई देशों में टीके लगने शुरू भी हो चुके हैं। ऐसे में ब्रिटेन और दक्षिणी अफ्रीका में विज्ञानियों की चिंता तो बढ़ाई है लेकिन वे इसे बहुत बड़ा खतरा नहीं मान रहे हैं।
ब्रिटेन में मिले कोरोना के नए स्ट्रेन में कुल 17 बदलाव दर्ज किए गए हैं। इनमें से ज्यादातर छोटे-मोटे हैं लेकिन स्पाईक प्रोटीन में एक बदलाव बड़ा है। एम्स के पूर्व निदेशक डा. एम. सी. मिश्रा ने कहा कि यह आनुवांशिक संरचना में बदलाव नहीं है बल्कि स्पाईक प्रोटीन से बदलाव से नए स्ट्रेन की कार्यप्रणाली में बदलाव दिखा है। यह पहले से ज्यादा संक्रामक हो गया है। स्पाईक प्रोटीन की भूमिका संक्रामण में होती है। लेकिन ब्रिटेन से ऐसी रिपोर्ट नहीं मिली है कि यह ज्यादा घातक हुआ है।
डा. मिश्रा के अनुसार जो टीके अभी तैयार हुए हैं, उनके इस नए स्ट्रेन पर कार्य नहीं करने का कोई कारण अभी नहीं दिखता है। हालांकि, बहुत सारे तथ्य अभी स्पष्ट नहीं हैं। वहीं, वर्धमान महावीर कॉलेज के कम्युनिटी विभाग के निदेशक डॉ. जुगल किशोर ने कहा कि इस नये स्ट्रेन की जेनेटिक कुंडली तैयार कर जब मौजूदा स्ट्रेन से मिलायी जाएगी तो उसके बाद स्पष्ट हो जाएगा कि तैयार हुए टीके असर करेंगे या नहीं। हालांकि कोरोना के कम से कम आठ प्रमुख स्ट्रेन इस समय प्रचलित हैं और यह भी एक वैज्ञानिक तथ्य है कि एक टीका हर स्ट्रेन पर एक समान असर नहीं करता है।
डॉ. जुगल किशोर के अनुसार चूंकि हमारे देश में अभी तक यह स्ट्रेन नहीं है, इसलिए हमारे देश में टीकाकरण की तैयारियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह जरूर है कि हमारे प्रयास होने चाहिए कि इसे देश में प्रवेश नहीं करने दिया जाए। डॉ. मिश्रा के अनुसार कोरोना के चार हजार से अधिक स्ट्रेन पूरी दुनिया में दर्ज किए गए हैं। भारत में भी कई स्ट्रेन रिपोर्ट हुए हैं। लेकिन उनमें जो बदलाव नोट किए गए हैं, वह बेहद छोटे हैं जो एक स्थान से दूसरे स्थान और एक शरीर से दूसरे शरीर में पहुंचने पर स्वभाविक रूप से आते हैं। इस प्रक्रिया में वायरस के लाखों प्रतिरुप तैयार होते हैं तथा लाखों में एक बदलाव आना सामान्य बात है।