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पढ़ें चौंकाने वाली रिपोर्ट, ऐसा ही होता रहा तो सफेद ताज हो जाएगा ‘पीला’
आगरा. प्रदूषण को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ताजा रिपोर्ट आई है। इसमें आगरा दुनिया का 27वां मोस्ट पॉल्यूटेड शहर है। यहां हवा में धूलकण की मात्रा दो साल की तुलना में बीस फीसदी बढ़ी है। इससे लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ ताज की खूबसूरती के लिए भी खतरा बढ़ गया है। ये कण ताज के संगमरमर पर चिपक जाते हैं, जिससे यह पीला दिखता है। पीलापन हटाने के लिए मडपैक ट्रीटमेंट करना पड़ रहा है। ताज की खूबसूरती को खतरा…
– ताज महल की खूबसूरती बरकरार रखने में सबसे बड़ी चुनौती इसके पीलेपन को लेकर है।
– डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार आगरा में पीएम2.5 धूलकण की मात्रा दुनिया में 27वें स्थान पर है।
– हवा में फैले 2.5 माइक्रॉन से छोटे ये कण लोगों के लिए खतरनाक हैं। ये फेफड़ों में भी प्रवेश कर जाते हैं जिससे कई तरह की बीमारियांं हो सकती हैं।
– डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार आगरा में पीएम2.5 धूलकण की मात्रा दुनिया में 27वें स्थान पर है।
– हवा में फैले 2.5 माइक्रॉन से छोटे ये कण लोगों के लिए खतरनाक हैं। ये फेफड़ों में भी प्रवेश कर जाते हैं जिससे कई तरह की बीमारियांं हो सकती हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
– भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सेवानिवृत्त अधिकारी बीडी सिंह के अनुसार यही कण ताज के संगमरमर पर चिपक जाते हैं। यहां की बाहरी सतह का बड़ा क्षेत्र ऐसे कणों से ढंक जाता है। कणों के साथ ऐसे तत्व होते हैं, जो आंशिक रूप से संगमरमर की सतह को बदरंग कर देते हैं। इससे ताज पीला दिखता है।
– वर्ष 2014 के मुकाबले वर्ष 2016 में आगरा में धूलकण का प्रदूषण 20 फीसदी बढ़ गया है। ऐसे में धूलकणों के ताज महल से चिपकने की रफ्तार भी बढ़ी है। इसका यह भी मतलब निकाला जा रहा है कि ताज के पीलेपन की प्रक्रिया 20 फीसदी बढ़ रही है।
– ब्रज मंडल हेरिटेज कंजर्वेटिव सोसायटी के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा के अनुसार आगरा में रोजाना दस हजार वाहनों के गुजरने और लगातार हो रहे सड़क व अन्य विकास कार्योंसे पीएम2.5 धूलकण बढ़ रहा है।
– वर्ष 2014 के मुकाबले वर्ष 2016 में आगरा में धूलकण का प्रदूषण 20 फीसदी बढ़ गया है। ऐसे में धूलकणों के ताज महल से चिपकने की रफ्तार भी बढ़ी है। इसका यह भी मतलब निकाला जा रहा है कि ताज के पीलेपन की प्रक्रिया 20 फीसदी बढ़ रही है।
– ब्रज मंडल हेरिटेज कंजर्वेटिव सोसायटी के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा के अनुसार आगरा में रोजाना दस हजार वाहनों के गुजरने और लगातार हो रहे सड़क व अन्य विकास कार्योंसे पीएम2.5 धूलकण बढ़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है ताज के धूलकण पर विचार
– ऐसे धूलकणों से ताज को बचाने के लिए डेढ़ दशक पहले सुप्रीम कोर्ट की वर्धराजन कमेटी ने ताज के पीछे फाउंटेन लगाने की सिफारिश की थी। उनका मानना था कि फुहारा लगवाने से आसपास नमी बनी रहेगी और धूलकण में कमी आएगी।
– सुप्रीम कोर्ट के जज कुरियन जोसेफ ने पिछले साल इसका बड़ा कारण ताज के पास के श्मशान घाट को भी बताया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि यहां से निकलने वाला धुआं ताज की खूबसूरती को प्रभावित कर रहा है।
– इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीपीसीबी के स्टैंडिंग काउंसिल विजय पंजवानी को श्मशान घाट के निरीक्षण के लिए 09 दिसंबर 2015 को भेजा था। तब पंजवानी ने कहा था, ‘मुझे यह देखने के लिए भेजा गया है कि क्या मोक्षधाम को शिफ्ट किया जाना चाहिए।‘
– ऐसे धूलकणों से ताज को बचाने के लिए डेढ़ दशक पहले सुप्रीम कोर्ट की वर्धराजन कमेटी ने ताज के पीछे फाउंटेन लगाने की सिफारिश की थी। उनका मानना था कि फुहारा लगवाने से आसपास नमी बनी रहेगी और धूलकण में कमी आएगी।
– सुप्रीम कोर्ट के जज कुरियन जोसेफ ने पिछले साल इसका बड़ा कारण ताज के पास के श्मशान घाट को भी बताया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि यहां से निकलने वाला धुआं ताज की खूबसूरती को प्रभावित कर रहा है।
– इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीपीसीबी के स्टैंडिंग काउंसिल विजय पंजवानी को श्मशान घाट के निरीक्षण के लिए 09 दिसंबर 2015 को भेजा था। तब पंजवानी ने कहा था, ‘मुझे यह देखने के लिए भेजा गया है कि क्या मोक्षधाम को शिफ्ट किया जाना चाहिए।‘
खूबसूरती बचाने के लिए मडपैक ट्रीटमेंट
– एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद भुवन विक्रम के अनुसार धूलकण की वजह से होने वाले पीलापन को हटाने के लिए मडपैक ट्रीटमेंट करना पड़ता है।
– इस वक्त ताज की मीनारों को साफ किया जा रहा है। इस ट्रीटमेंट में साफ किए जाने वाले हिस्सों में मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाया जाता है।
– मिट्टी जब सूखकर उखड़ने लगती है तब पानी की फुहारों से धीरे-धीरे इमारत को साफ किया जाता है।
– इसके बाद ताज के संगमरमर में असली चमक आ जाती है।
– इस वक्त ताज की मीनारों को साफ किया जा रहा है। इस ट्रीटमेंट में साफ किए जाने वाले हिस्सों में मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाया जाता है।
– मिट्टी जब सूखकर उखड़ने लगती है तब पानी की फुहारों से धीरे-धीरे इमारत को साफ किया जाता है।
– इसके बाद ताज के संगमरमर में असली चमक आ जाती है।