शिल्पा शिरोडकर के एजुकेशन जान लगेगा झटका(शिल्पा शिरोडकर)

शिल्पा शिरोडकर :शिल्पा शिरोडकर (शिल्पा शिरोडकर) 90 के दशक की मशहूर अभिनेत्री हुआ करती थीं, जिन्होंने गोविंदा से लेकर अमिताभ बच्चन, जैकी श्रॉफ और मिथुन चक्रवर्ती जैसे सुपरस्टार्स के साथ काम किया। शिल्पा ने रमेश सिप्पी की फिल्म ‘भ्रष्टाचार’ से बॉलीवुड डेब्यू किया, जिसमें मिथुन चक्रवर्ती लीड रोल में थे। लेकिन, कुछ ही फिल्मों के बाद उन्होंने अचानक फिल्मों से दूर होने का फैसला ले लिया। फिल्मों का जाना-माना नाम बनने के बाद शिल्पा शिरोडकर लाइमलाइट और फिल्मों से दूर चली गईं। अपने करियर के पीक पर वह शादी के बाद पति अपरेश रंजीत के साथ विदेश में सेटल हो गईं। अब हाल ही में शिल्पा शिरोडकर ने अपने इस फैसले के बारे में खुलकर बात की और साथ ही साथ अपनी और अपने पति की एजुकेशन को लेकर भी बात की।
दसवीं फेल हैं शिल्पा शिरोडकर
पिंकविला के साथ बातचीत में शिल्पा शिरोडकर ने बताया कि शादी के बाद वह पति अपरेश के साथ न्यूजीलैंड में सेटल हो गई थीं। उन्होंने कहा- ‘शादी के बाद मैं अपरेश के साथ न्यूजीलैंड सेटल हो गई और ये फैसला मैंने खुद अपनी मर्जी से लिया था। मेरे पति एक बैंकर हैं और डबल एमबीए हैं। दूसरी तरफ मैं… मैं दसवीं फेल हूं। शादी के बाद मुझे दोनों के बीच के एजुकेशन डिफरेंस को लेकर कभी-कभी शर्मिंदगी भी महसूस होती थी। हालांकि, एक लिहाज से देखा जाए तो जब भी मुझे कुछ पूछना या समझना होता है तो मुझे आसानी से सलाह मिल जाती है।’
अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं- शिल्पा शिरोडकर
शिल्पा आगे कहती हैं- ‘मेरे पति असल जिंदगी में बहुत ही सीधे-साधे और अच्छे इंसान हैं। मेरे लिए उनके साथ नई जिंदगी की शुरुआत काफी जरूरी था। मुझे इस बात को लेकर कोई अफसोस नहीं है कि मैंने एक समय पर मुंबई छोड़ दिया था। अगर मेरी शादी भारत में ही होती तो शायद मैं अपना काम भी जारी रख पाती, लेकिन मुझे अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं है।’ शिल्पा ने स्वीकार किया कि उन्होंने कभी भी मुंबई या भारत छोड़ने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन अपरेश से पहली बार मिलने के बाद उनका नजरिया बदल गया।
मुंबई छोड़ने के बारे में नहीं सोचा था- शिल्पा शिरोडकर
अपनी बात जारी रखते हुए शिल्पा ने कहा- ‘ये एक आसान फैसला था, क्योंकि ये मेरी अपनी पसंद थी। जब आप अपनी पसंद से कुछ करते हैं तो सब कुछ आसान लगने लगता है। मुझे मुंबई छोड़ने का मन नहीं था, क्योंकि मैं अपने माता-पिता के बहुत करीब थी। लेकिन, फिर मेरी मुलाकात अपरेश से हुई और सिर्फ डेढ़ दिन में मैंने हां कह दिया, ये जानते हुए भी कि वो भारत में नहीं रहेंगे, बल्कि पढ़ाई के लिए विदेश चले जाएंगे। मुझे उनकी ईमानदारी इतनी पसंद आई कि बिना ज्यादा सोचे मैंने हामी भर दी और फिर सब अपने आप होता चला गया।’