शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास अवध प्रांत का स्थापना दिवस मनाया गया, चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व विकास पर हुआ गहन विमर्श !

लखनऊ -: शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास अवध प्रांत ने बुधवार को अपना स्थापना दिवस श्रद्धा और विचारशीलता के वातावरण में मनाया। इस अवसर पर लखनऊ के स्कार्पियो क्लब परिसर स्थित धर्म भारती राष्ट्रीय शांति एवं सतत विकास विद्यापीठ में “चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व के समग्र विकास” विषय पर एक विमर्श आयोजित किया गया। कार्यक्रम में अनेक शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वैज्ञानिकों, चिंतकों और विशिष्टजनों ने भाग लिया।कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार एवं पद्मश्री से सम्मानित डॉ. विद्या विन्दु सिंह थीं,
जबकि मुख्य वक्ता चिन्मय मिशन के ब्रह्मचारी आचार्य स्वामी कौशिक चैतन्य जी महाराज रहे। अध्यक्षता प्रो. कीर्ति नारायण ने की। संचालन दीप नारायण पांडेय ने किया और धन्यवाद ज्ञापन योगाचार्य डॉ. सत्येन्द्र सिंह ने किया।न्यास के अवध प्रांत संयोजक प्रमिल द्विवेदी ने स्थापना दिवस की पृष्ठभूमि और संस्था के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि व्यक्तित्व का विकास एक सतत प्रक्रिया है, जबकि चरित्र निर्माण उसका अंतिम फल है।
उन्होंने बताया कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का मूल उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना है, जो चरित्रवान, आत्मनिर्भर और राष्ट्र के प्रति समर्पित हो। उन्होंने बताया कि संस्था “पंचकोश” की भारतीय अवधारणा पर आधारित पाठ्यक्रम और पुस्तकों के माध्यम से विद्यालय स्तर पर कार्य कर रही है।चिन्मय मिशन के आचार्य स्वामी कौशिक चैतन्य जी ने कहा कि मनुष्य का व्यक्तित्व आंतरिक और बाह्य दो स्तरों पर विकसित होता है।
उन्होंने पंचकोश – अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनंदमय – के संतुलित विकास को व्यक्तित्व के समग्र उत्थान की कुंजी बताया। उन्होंने कहा कि छात्रों को संयम, स्वाध्याय, अध्ययनशीलता और मौन जैसे अभ्यासों से आत्मविकास की दिशा में बढ़ना चाहिए।उन्होंने कहा कि शिक्षा यदि मूल्यपरक न हो तो वह केवल सूचनाओं का भंडार बनकर रह जाती है, जबकि सच्ची शिक्षा वह है जो मनुष्य को सदाचारी, नीतिपरायण और समाज के प्रति उत्तरदायी नागरिक बनाती है। उन्होंने आह्वान किया कि छात्र जीवन में ही दयाभाव, साहस और संयम के गुणों को आत्मसात करने की शिक्षा दी जाए, जिससे समाज में चरित्रवान नागरिकों का निर्माण हो।
कार्यक्रम में प्रो. कीर्ति नारायण, पूर्व कृषि निदेशक ए.पी. श्रीवास्तव, निमिष कपूर, चैतन्य अग्रवाल सहित प्रदेश भर से आए अनेक शिक्षाविद, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, डॉक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता, बैंक अधिकारी और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े विशिष्टजन उपस्थित रहे।शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के इस आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि भारतीय शिक्षा दर्शन में केवल ज्ञान का संचय नहीं, बल्कि चरित्र और चेतना के विकास को सर्वोपरि माना गया है। संस्था द्वारा शिक्षा में भारतीयता की पुनर्स्थापना और समाज को एक नैतिक दिशा देने के प्रयासों की सभी ने सराहना की।