अपराध
शाहजहांपुर से एक करोड़ की ठगी, कई राज्यों में फैला नेटवर्क , डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, सात शातिर गिरफ्तार !

शाहजहांपुर-:( फैयाज़ साग़री )-: कोतवाली थाना क्षेत्र निवासी शरत चन्द्र को डिजिटल अरेस्ट कर एक करोड़ से अधिक की ठगी करने वाले साइबर ठगों के गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ कर दिया है। एसआईटी व साइबर थाना की संयुक्त कार्रवाई में विभिन्न जनपदों से गिरोह के सात शातिर अपराधी गिरफ्तार किए गए हैं। इनके पास से एटीएम कार्ड, पासबुक व मोबाइल बरामद हुए हैं। पुलिस अब गिरोह के अन्य फरार सदस्यों की तलाश में जुट गई है।
पकड़े गए आरोपियों में झांसी, आगरा, दिल्ली, हरियाणा, गाजियाबाद, टीकमगढ़ और बुलंदशहर के निवासी शामिल हैं। गिरफ्तार किए गए ठगों में सचिन अहिरवार (झांसी), प्रशांत कटारा (आगरा), गौतम सिंह उर्फ लखन ठाकुर (नई दिल्ली), संदीप पुंडीर (बुलंदशहर/हाथरस), सैय्यद सैफ उर्फ सोनू (फरीदाबाद), आर्यन शर्मा उर्फ यश (गाजियाबाद) और पवन यादव (टीकमगढ़, एमपी) शामिल हैं। टीम ने इनके पास से 9 मोबाइल फोन, 7 एटीएम कार्ड और एक पासबुक बरामद की है।
पुलिस के अनुसार, ठगों ने शरत चन्द्र को सबसे पहले व्हाट्सएप कॉल के जरिए संपर्क किया और उन्हें बताया कि उनके बैंक खाते से 2.80 करोड़ रुपये का अवैध लेनदेन हुआ है। इसके बाद खुद को ईडी, सीबीआई और न्यायालय के अधिकारी बताकर वीडियो कॉल के जरिए उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया। पीड़ित को मनी लॉन्ड्रिंग व वित्तीय अपराधों में फंसाने की धमकी देकर डराया गया और फिर चार अलग-अलग खातों में 1 करोड़ 4 लाख 47 हजार 130 रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए।
40 खातों में 9 स्तरों पर घुमाया पैसा
पुलिस जांच में सामने आया कि ठगों ने इस धनराशि को फिनटेक फ्रॉड तकनीक का इस्तेमाल करते हुए 9 लेयर में 40 से अधिक खातों में ट्रांसफर किया। इसमें से 71 लाख रुपये हैदराबाद के एक कॉर्पोरेट अकाउंट में भेजे गए, जहां उसी दिन करीब तीन करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ। जांच में सामने आया कि यह खाता म्यूल अकाउंट के रूप में इस्तेमाल हो रहा था, जिसकी शिकायत हैदराबाद साइबर क्राइम में पहले ही दर्ज कराई जा चुकी थी।
डिजिटल अरेस्ट: कानूनी नहीं, केवल डराने की चाल
पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है। यह साइबर ठगों द्वारा पीड़ित को डराने का एक नया तरीका है। डिजिटल अरेस्ट की मुख्य चालें
- -वीडियो कॉल पर खुद को ईडी, CBI या कोर्ट का अधिकारी बताकर धमकाना
- नकली दस्तावेज़ और पहचान पत्र दिखाकर भरोसा जीतना
- मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग्स जैसे संगीन आरोपों में फंसाने की धमकी
- पीड़ित को घर में ही “डिजिटल कस्टडी” में रखने की बात कहना
- जमानत के नाम पर बैंक खाते से पैसा ट्रांसफर कराना
फिनटेक फ्रॉड: डिजिटल युग की नई ठगी
इस पूरे मामले में फिनटेक प्लेटफॉर्म्स का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ। ठगों ने फर्जी कॉर्पोरेट अकाउंट बनवाकर पीड़ित की रकम को वहां डलवाया और फिर कैश मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए उस पैसे को विभिन्न लाभार्थी खातों में ट्रांसफर कर दिया। आखिर में यह राशि अलग-अलग सेविंग खातों से क्रिप्टोकरेंसी के जरिए Binance जैसे वॉलेट्स में भेज दी गई।
साइबर टीम की सतर्कता से हुआ भंडाफोड़
इस सफल कार्रवाई में साइबर थाना प्रभारी सर्वेश शुक्ला, एसओजी प्रभारी धर्मेंद्र कुमार, सर्विलांस प्रभारी मनोज कुमार, दरोगा रिंकू कुमार, कांस्टेबल पुष्पेंद्र व अखिलेश कुमार की अहम भूमिका रही। पुलिस अब गिरोह के बाकी सदस्यों और Yes Bank के एक संदिग्ध खाते में हुए 9 करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शन की भी जांच कर रही है।
पुलिस की अपील
पुलिस ने आम नागरिकों से अपील की है कि यदि कोई व्यक्ति खुद को सरकारी अधिकारी बताकर फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से डराए, तो उसकी बातों में न आएं। तुरंत स्थानीय थाने या साइबर हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें। डिजिटल अरेस्ट एक भ्रम है सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।