राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग का करारा पलटवार, तथ्यों के साथ किया बिंदुवार खंडन !

लखनऊ -: चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हालिया आरोपों पर तीखा जवाब देते हुए एक बार फिर तथ्यों के साथ स्पष्ट किया है कि भारत में चुनाव प्रक्रिया न केवल पूरी तरह से पारदर्शी होती है, बल्कि यह कानूनी रूप से संरचित भी है। आयोग द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप न केवल निराधार हैं, बल्कि उनके अपने ही दल द्वारा नियुक्त बूथ लेवल एजेंटों, मतदान अधिकारियों और पर्यवेक्षकों की मेहनत और ईमानदारी पर भी सीधा हमला हैं।
चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया कि राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में अपने ही पार्टी के बूथ लेवल एजेंटों और उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की कार्यशैली पर सवाल उठाकर संपूर्ण चुनाव व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। जबकि इस दौरान देशभर में 10.5 लाख बूथ लेवल अधिकारी, 50 लाख मतदान कर्मी और 1 लाख मतगणना पर्यवेक्षक तैनात किए गए थे, जिन्होंने कड़ी मेहनत और ईमानदारी से चुनाव प्रक्रिया को सम्पन्न कराया।
आयोग ने यह भी बताया कि मतदान केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज की जांच के लिए उच्च न्यायालय अधिकृत होता है और यह व्यवस्था मतदाताओं की गोपनीयता बनाए रखने के लिए की गई है। आयोग ने सवाल किया कि क्या राहुल गांधी अब उच्च न्यायालयों पर भी विश्वास नहीं करते?आयोग ने कांग्रेस द्वारा लगाए गए मतदाता सूची से संबंधित आरोपों को भी तथ्यहीन बताया। आयोग ने बताया कि मतदाता सूची जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के तहत बनाई जाती है, जिसकी प्रति प्रत्येक राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को दी जाती है।
विशेष रूप से महाराष्ट्र चुनाव के दौरान केवल 89 अपीलें प्रथम अपीलीय प्राधिकारी और मात्र 1 अपील द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की गई थी, जो यह दर्शाता है कि उस समय किसी दल को गंभीर आपत्ति नहीं थी।आयोग ने यह भी रेखांकित किया कि 2024 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी ने 27,099 बूथ लेवल एजेंटों की नियुक्ति की थी।
ऐसे में, मतदाता सूची या मतदान प्रक्रिया पर सवाल उठाना न केवल उनके अपने एजेंटों पर अविश्वास प्रकट करता है, बल्कि लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले करोड़ों लोगों और हजारों कर्मचारियों का भी अपमान है। एक और महत्वपूर्ण बिंदु में आयोग ने बताया कि अब तक राहुल गांधी द्वारा कोई औपचारिक पत्र आयोग को नहीं लिखा गया है और न ही उनसे मिलने का कोई समय मांगा गया है, जबकि चुनाव आयोग सहित कोई भी संवैधानिक संस्था तभी औपचारिक उत्तर देती है जब लिखित रूप से उनसे संपर्क किया जाता है।चुनाव आयोग ने यह भी खुलासा किया कि 15 मई 2025 को जब सभी राष्ट्रीय दलों को आमंत्रित किया गया था, तब कांग्रेस ने बैठक में भाग लेने में ठंडा रुख अपनाते हुए अतिरिक्त समय मांगा।
अंततः आयोग ने अपने बयान में कहा कि भारत में चुनाव प्रणाली न केवल विश्वसनीय और पारदर्शी है, बल्कि पूरी दुनिया में इसकी प्रशंसा होती है। किसी भी राजनीतिक दल को मतदाता के प्रतिकूल निर्णय आने के बाद बिना ठोस प्रमाण के आयोग की निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। यह न केवल संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा का हनन है, बल्कि लाखों चुनाव कर्मियों के मनोबल को भी ठेस पहुंचाने वाला है।