अंतराष्ट्रीय

कैसे अंजाम दिया गया, लादेन को मारने की योजना पर

नई दिल्ली राष्ट्रपति ओबामा अपने कुछ सलाहकारों को2009 में सिचुएशन रूम की बैठक खत्म होते ही व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में ले गए और दरवाजा भीतर से बंद कर लिया। इनमें व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ राह्म इमैनुएल, सीआईए के निदेशक लियोन पनेटा और उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार टॉम डानिलन शामिल थे।

ओबामा ने उन लोगों से कहा कि वो चाहते हैं कि ओसामा बिन लादेन की तलाश को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाए और हर तीस दिन पर इस अभियान की प्रगति रिपोर्ट उनकी मेज पर पहुंचाई जाए।

बराक ओबामा अपनी आत्मकथा ‘अ प्रॉमिस्ड लैंड’ में लिखते हैं, “9/ 11 की नौवीं बरसी से एक दिन पहले सीआईए के निदेशक लियोन पनेटा और उनके नंबर दो माइक मॉरेल ने मुझसे मिलने के लिए समय मांगा। लियोन ने कहा ‘मिस्टर प्रेसिंडेंट ओसामा बिन लादेन के बारे में हमें अभी बहुत शुरुआती सुराग मिले हैं।”

“हमारे जासूसों ने अबू अहमद अल कुवैती नाम के एक शख्स को ढ़ूंढ़ निकाला है जो अल कायदा के लिए संदेशवाहक का काम करता है और उसके ओसामा बिन लादेन से नजदीकी संबंध हैं। हमारे जासूसों ने उनके फोन और रोज की गतिविधियों पर नजर रखी है और वो हमें पाकिस्तान में इस्लामाबाद से 35 किलोमीटर दूर एबटाबाद शहर के बाहरी इलाके के एक बड़े अहाते तक ले गए हैं। माइक ने बताया कि उस अहाते का क्षेत्र और आकार बताता है कि वहां अल-कायदा से जुड़ा हुआ कोई बड़ा शख्स रह रहा है।”
दो महीने बाद 14 दिसंबर 2009 को लियोन और माइक की जोड़ी एक बार फिर बराक ओबामा से मुलाकात करने पहुंची। इस बार उनके साथ सीआईए के एक अफसर और एक विश्लेषक भी थे। ये अफसर सीआईए के काउंटर टेरेरिज्म सेंटर और अमेरिका के बिन लादेन अभियान के प्रमुख थे। इन दो लोगों ने ओबामा को उन सभी तथ्यों की जानकारी दी जिनके जरिए वो एबटाबाद के उस अहाते तक पहुंचे थे।

सीआईए के पूर्व निदेशक लियोन पनेटा ने अपनी आत्मकथा ‘वर्दी फाइट्स’ में इसका जिक्र करते हुए लिखा है, “ये अहाता आसपास के प्लॉट्स में सबसे बड़ा था। बगल वाले प्लॉट से करीब आठ गुना बड़ा। इसके मालिक इब्राहिम और उनके भाई थे। उनकी माली हालत इतनी नहीं थी कि वो एक करोड़ रुपये मूल्य की इस प्रॉपर्टी के मालिक हो सकते थे। आश्चर्यजनक बात ये थी कि मालिक होते हुए भी इब्राहिम भवन के मुख्य हिस्से में न रह कर अहाते के अंदर ही गेस्ट हाउस में रह रहा था।”

“इस भवन में तीन मंजिलें थीं। ऊपर की मंजिल में एक बालकनी थी, लेकिन इस बालकनी को एक दीवार से कवर किया गया था। बालकनी के सामने दीवार कौन खड़ी करता है ? उस घर में न तो कोई इंटरनेट कनेक्शन था और न ही कोई लैंडलाइन फोन। हमारी निगरानी से पता चला था कि कभी-कभी एक शख्स घर से बाहर निकल कर अहाते के अंदर ही तेज-तेज कदमों से चला करता था।”

“हमने उसको ‘द पेसर’ का नाम दिया था। इस घर के बाहर कूड़ा उठाने वाले लोग आते थे, लेकिन घर के लोग अपना कूड़ा कूड़ेवाले को न दे कर अहाते के अंदर ही जलाया करते थे।’ सीआईए के जासूसों का मानना था कि ‘द पेसर’ ओसामा बिन लादेन हो सकता है।

हवाई हमले से अहाते को बर्बाद करने का विकल्प
ओबामा की राय थी कि हालांकि पाकिस्तान की सरकार अमेरिका के साथ सहयोग कर रही थी और अफगानिस्तान में उसके अभियान में मदद कर रही थी लेकिन ये बात किसी से छुपी नहीं थी कि पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी में कुछ तत्व तालिबान और शायद अल-कायदा से भी सहानुभूति रखते थे।

ओबामा का ख्याल था कि एबटाबाद अहाते के पाकिस्तानी मिलिट्री अकादमी के इतना नजदीक होने की वजह से इस बात की संभावना कहीं अधिक बढ़ गई थी कि अगर पाकिस्तानियों को इस बारे में कुछ भी बताया गया तो ये सूचना आनन-फानन में उस शख्स के पास पहुंच जाएगी जिसे वो निशाना बनाना चाह रहे थे।

ओबामा लिखते हैं, “हमारे पास दो विकल्प थे। पहला विकल्प ये कि अहाते को हवाई हमले से बर्बाद कर दिया जाए। इसका पहला फायदा ये था कि पाकिस्तान की धरती पर किसी अमेरिकी के मारे जाने का जोखिम बिल्कुल नहीं था। सार्वजनिक रूप से हम ये खंडन कर सकते थे कि इस हमले में हमारा कोई हाथ है।”

“लेकिन इसका नुकसान ये था कि अगर अहाते को बर्बाद करने में हम सफल हो भी गए तो ये कैसे सुनिश्चित होगा कि उसके अंदर लादेन मौजूद था? और अगर अल-कायदा ने उसका खंडन कर दिया तो हम कैसे सिद्ध करेंगे कि लादेन मारा गया है? दूसरे इस खतरे से भी इनकार नहीं किया जा सकता था कि अहाते के अलावा उसके आस-पास रहने वाले लोग भी मारे जा सकते थे। मैंने ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के वाइस चेयरमैन हॉस कार्टराइट से साफ-साफ कह दिया कि मैं इस अभियान की अनुमति नहीं दे सकता जहां तीस-चालीस लोगों के मारे जाने की संभावना हो जबकि ये भी सौ फीसदी तय न हो कि ओसामा उस अहाते के अंदर रह रहा हो।”

अफगानिस्तान से पाकिस्तान में प्रवेश की योजना
ओबामा आगे लिखते हैं, “हमारे पास दूसरा विकल्प था कि मैं स्पेशल-ऑप्स मिशन की अनुमति दूं जिसमें चुने हुए सैनिक हेलिकॉप्टर से पाकिस्तान के अंदर प्रवेश कर अहाते पर इतनी तेजी से हमला करें कि पाकिस्तानी पुलिस या सेना को प्रतिक्रिया देने का मौका ही न मिल पाए। इसीलिए मैंने वाइस एडमिरल विलियम मैकरेवन को बुलवाया ताकि वो हमें बता सकें कि ये हमला किस तरह का होगा।”

ऊपर से लिए गए चित्रों के आधार पर सीआईए ने एबटाबाद अहाते का थ्री डायमेंशनल प्रतिरूप बनवाया और वाइस एडमिरल मैकरेवन ने राष्ट्रपति ओबामा को इस हमले के बारे में ब्रीफ किया। तय हुआ कि सील्स के चुनिंदा सैनिक अफगानिस्तान में जलालाबाद से एक या दो हेलिकॉप्टर्स में रात के अंधेरे में उड़ान भर कर पाकिस्तान में लक्ष्य के अहाते में लैंड करेंगे।

29 मार्च को बुलाई गई बैठक में ओबामा ने मैकरेवेन से सवाल पूछा कि अगर पाकिस्ताके लड़ाकू विमानों ने हमारे हेलिकॉप्टर्स को घुसते या निकलते समय इंटरसेप्ट किया तो हमारा क्या रुख होगा?

अगर बिन लादेन अहाते में किसी सेफ रूम में छिपा हुआ हो और हमारी टीम को उन्हें ढ़ूढ़ने में निर्धारित समय से अधिक वक्त लग गया तो हम क्या करेंगे? और अगर हमले के दौरान पाकिस्तानी बलों ने अहाते को चारों तरफ से घेर लिया तो हम इससे कैसे निपटेंगे?

ओबामा लिखते हैं, “एडमिरल मैकरेवन ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी योजना इस आधार पर बनाई गई है कि वो पाकिस्तानी सैन्यबलों से उलझने से बचेंगे और अगर पाकिस्तानियों ने हमें घेर भी लिया तो हमारे सील्स अहाते का कब्जा नहीं छोड़ेंगे। इस बीच हमारे राजनयिक उनके वहां से सुरक्षित बाहर निकलने के लिए पाकिस्तानी सरकार से बात शुरू कर देंगे।”

इस बीच हॉस कार्टराइट ने एक और विकल्प सुझाया। क्यों न एक ड्रोन से अहाते पर उस समय एक 13 पाउंड की मिसाइल अहाते पर छोड़ी जाए जब ‘अपनी डेली वॉक पर निकला हो। ओबामा ने किसी भी विकल्प को लिए अंतिम हां, नहीं भरी लेकिन ये जरूर कहा कि योजना बनाने के लिए ये मानकर चलें कि मेरी तरफ से ‘हां’ है।

 

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