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झांसी-बबीना के किसानों ने समाजवादी पार्टी से लगाई न्याय की गुहार,अखिलेश यादव ने दिया समर्थन का भरोसा !

लखनऊ -:  समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से झांसी-बबीना क्षेत्र के किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात कर जबरन भूमि अधिग्रहण और मुआवजा न मिलने की शिकायत की। प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश मुख्यालय स्थित डॉ. राममनोहर लोहिया सभागार में मुलाकात कर बीड़ा (बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण) द्वारा हो रहे उत्पीड़न की जानकारी दी और ज्ञापन सौंपा।
अखिलेश यादव ने किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए आश्वासन दिया कि समाजवादी पार्टी उनके साथ खड़ी है। उन्होंने बताया कि पहले भी नेता प्रतिपक्ष विधान परिषद लाल बिहारी यादव के नेतृत्व में सपा का प्रतिनिधिमंडल झांसी और बबीना जाकर जिलाधिकारी से मिला था और जब वहां प्रशासन ने किसानों की मांगों को जायज माना, तो सरकार को उन्हें पूरा करना चाहिए था। लेकिन अधिकारियों के तबादले के बाद किसानों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।अखिलेश यादव ने कहा कि सपा का प्रतिनिधिमंडल एक बार फिर वहां जाकर डीएम से बात करेगा और किसानों की लड़ाई सड़क से सदन तक लड़ी जाएगी। उन्होंने मांग की कि सरकार किसानों को उनकी जमीनों का बाजार भाव दे और जबरन सहमति पत्रों पर दस्तखत न कराए। भूमि अधिग्रहण कानून के तहत किसानों को चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह विस्थापित किसानों को वैकल्पिक जमीन दे और उनके नाम से रजिस्ट्री कराए।भाजपा पर निशाना साधते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि जिस तरह बबीना में किसानों की जमीन छीनी गई, वैसे ही अयोध्या में गरीबों और किसानों की जमीन लूटकर मुनाफा कमाया गया। उन्होंने कहा कि इसका नतीजा यह हुआ कि अयोध्या की धरती ने भाजपा को हरा दिया। अब झांसी और बुंदेलखंड के किसानों को भी भाजपा को सबक सिखाना चाहिए, जिसने झूठे वादे किए। मिसाइल, तोप बनाने की बात हुई थी, लेकिन सच्चाई यह है कि अब तक सुतली बम भी नहीं बना।इससे पहले दिए गए ज्ञापन में किसानों ने बताया कि बीड़ा द्वारा करीब 25 हजार किसानों को ठगा जा रहा है। सरकार द्वारा जानबूझकर सही भौतिक सत्यापन नहीं कराया जा रहा है। कई गांवों में सड़क और आबादी की जमीन सर्किल रेट में दर्ज नहीं की गई, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। 1962 में बनी फायरिंग रेंज के कारण 50 से अधिक गांवों के किसान मालिकाना हक से वंचित हैं और उनकी आबादी 1975 की सीमा तक ही मानी जा रही है, जबकि अब नए मजरे भी बन चुके हैं।किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सांसद की जमीन बीड़ा के नक्शे से हटा दी गई, जबकि आम किसानों की जमीन अधिग्रहण में ली जा रही है। उन्होंने मांग की कि हर प्रभावित परिवार को सरकारी नौकरी, मुफ्त शिक्षा और रोजगार मिले, भूमि का सर्किल रेट हर साल 20% बढ़ाया जाए और विकसित क्षेत्रों में 30% भूमि दी जाए। साथ ही किसानों को आवासीय कॉलोनी में मकान, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में दुकानें और कैपिटल गेन टैक्स से राहत मिले।प्रतिनिधिमंडल में एमएलसी लाल बिहारी यादव, सांसद नारायण दास अहिरवार, एमएलसी डॉ. मान सिंह यादव, पूर्व विधायक दीप नारायण और सतीश जतारिया, जिलाध्यक्ष बृजेंद्र सिंह भोजला, पूर्व जिलाध्यक्ष संत सिंह सेरसा, महानगर अध्यक्ष तनवीर आलम, पूर्व जिलाध्यक्ष सुदेश पटेल, जिला पंचायत सदस्य अजय अतरौलिया समेत कई वरिष्ठ नेता और बीड़ा प्रभावित किसान शामिल रहे।

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