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माइग्रेशन पर नया कानून बनाने की तैयारी, जानिए सरकार के इस फैसले से क्या-क्या बदल जाएगा !
नई दिल्ली -:विदेश में रोजगार के लिए सुरक्षित, व्यवस्थित एवं नियमित माइग्रेशन को बढ़ावा देने के लिए एक तंत्र स्थापित करने के वास्ते सरकार नया कानून बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। यह प्रस्ताव ऐसे समय सामने आया है, जब अमेरिका ने 104 अवैध भारतीय अप्रवासियों को वापस भेजा है। प्रस्तावित विधेयक ‘इमिग्रेशन (ओवरसीज मोबिलिटी- फेसिलिटेशन एंड वेलफेयर) बिल, 2024’ वर्ष 1983 के इमिग्रेशन एक्ट का स्थान लेगा।
अमेरिका द्वारा 104 भारतीयों को डिपोर्ट किए जाने के बाद केंद्र सरकार माइग्रेशन पर नया कानून बनाने की तैयारी कर रही है। ये कानून वर्ष 1983 के इमिग्रेशन एक्ट का स्थान लेगा। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों पर संसदीय समिति की एक रिपोर्ट सामने आई है। कमेटी ने पंजाब व उत्तर प्रदेश जैसे माइग्रेशन हॉटस्पॉट राज्यों में पीओई ऑफिस खोलने का सुझाव दिया है।
- 1983 से लागू है इमिग्रेशन एक्ट
- नया कानून लेगा एक्ट की जगह
- इमिग्रेंट्स के बेहतर पहुंच पर फोकस
संसद में पेश की गई रिपोर्ट
यह बात कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों पर संसदीय समिति की एक रिपोर्ट में सामने आई है। यह रिपोर्ट सोमवार को संसद में पेश की गई थी। समिति ने यह भी कहा है कि वह राज्यों में उन स्थानों पर पीओई (प्रोटेक्टर आफ इमिग्रेंट्स) की स्थापना करना चाहती है, जहां वे वर्तमान में नहीं हैं। समिति का कहना है कि पंजाब व उत्तर प्रदेश जैसे माइग्रेशन हॉटस्पॉट राज्यों में अतिरिक्त पीओई ऑफिस खोलने में तेजी लाई जानी चाहिए, ताकि इमिग्रेंट्स को बेहतर पहुंच और मदद सुनिश्चित हो सके।
1983 में आया था इमिग्रेशन एक्ट
- समिति का कहना है कि भारत में इमिग्रेशन की प्रक्रिया 1983 के इमिग्रेशन एक्ट के तहत आती है, जिस पर प्रशासनिक नियंत्रण प्रोटेक्टर जनरल ऑफ इमिग्रेंट्स (पीजीई) के जरिये विदेश मंत्रालय का होता है।
- रिपोर्ट के अनुसार, ‘माइग्रेशन की सामयिक वैश्विक स्थितियों और भारतीय नागरिकों की आवश्यकताओं के मद्देनजर समिति वर्षों से पुराने पड़ चुके इमिग्रेशन एक्ट, 1983 को बदलने के लिए व्यापक विधायी बदलावों की जरूरत को रेखांकित करती रही है। काफी देरी से विदेश मंत्रालय नया कानून बनाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।’