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कितनी सुरक्षित होगी कोरोना वायरस की वैक्सीन !!

परीक्षण में शामिल चेन्नई निवासी एक स्वयंसेवक ने गत दिनों उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठा दिया।हालांकि, कोविशील्ड के विकास में शामिल सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इसका खंडन करते हुए कहा है कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और जब तक उसके प्रभावों का सटीक आकलन नहीं होगा, उसे बाजार में नहीं उतारा जाएगा। इस समय कम से कम पांच वैक्सीन परीक्षण के अंतिम दौर में हैं और दुनिया उम्मीद कर रही है कि चालू या अगले महीने से व्यापक टीकाकरण अभियान शुरू हो जाएगा। ऐसेमें यह जानना जरूरी हो गया है कि वैक्सीन के प्रभाव व सुरक्षा के मानक क्या हैं और परीक्षण के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखा जाता है…

परीक्षण की भूमिका- प्रयोगशाला में परीक्षण के दौरान अगर वैक्सीन सुरक्षा मानकों पर सफल रहती है तो वैज्ञानिक उसके प्रभावों की जांच करते हैं। इसकी शुरुआत कम लोगों से की जाती है। सफलता मिलने के बाद लोगों की संख्या बढ़ाई जाती है। इसमें शामिल आधे लोगों को असली वैक्सीन दी जाती है, जबकि आधे पर डमी का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी जानकारी शोधकर्ताओं और स्यवंसेवकों को भी नहीं होती कि किसे असली वैक्सीन दी गई है और किसे डमी। परीक्षण परिणामों का अध्ययन किया जाता है। भले ही कोरोना वैक्सीन का परीक्षण तेजी से किया जा रहा है, लेकिन इस दौरान किसी भी मानक का उल्लंघन नहीं किया जाता।

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