चंडीगढ़ -: शहर की हवा में प्रदूषण के कण बरकरार हैं। ट्राईसिटी का एयर क्वालिटी इंडेक्स में रविवार से मामूली राहत मिली है लेकिन अभी भी शहर रेड जोन में हैं। एयर क्वालिटी इंडेक्स अधिकतम 340 दर्ज किया गया है। इस समय उतरी और दक्षिणी सेक्टर दोनो में प्रदूषण बराबर है। प्रशासन भी अब बारिश का ही इंतजार कर रहा है क्योंकि बारिश होने पर ही प्रदूषण से राहत मिलेगी।
प्रदूषण बढ़ने से आंखों में जलन की परेशानी होनी शुरू हो गई है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार पंजाब व हरियाणा से जो हवा निकल रही है वह चंडीगढ़ से होकर निकल रही है इसलिए यहां का प्रदूषण पंजाब व हरियाणा के शहरों के मुकाबले में ज्यादा है।
जबकि इस बार पराली जलने के मामले पिछले सालों के मुकाबले में कम है लेकिन इसके बावजूद प्रदूषण से कोई राहत नहीं मिल रही। दिवाली से दो दिन पहले से ही प्रदूषण बढ़ने लग गया था। देश में चंडीगढ़ पिछले चार दिन से सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल है।
चंडीगढ़ की हवा में प्रदूषण का कहर जारी है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स अभी भी रेड जोन में है जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। प्रदूषण के कारण आंखों में जलन और अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। प्रशासन बारिश का इंतजार कर रहा है क्योंकि बारिश होने पर ही प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद है।
- पूरे देश में सिर्फ पांच शहर जो रेड जोन में उनमे चंडीगढ़ भी शामिल
- चंडीगढ़ के अलावा दिल्ली, चूरू, मंडीदीप और झुंझुनू सबसे प्रदूषित शहरों में
प्रदूषण के मामले में देश के टॉप 5 शहरों में चंडीगढ़
दिल्ली का प्रदूषण जरूर चंडीगढ़ से ज्यादा हो गया है। दिल्ली में प्रदूषण 353 दर्ज किया गया है। पूरे देश में इस समय पांच शहर ऐसे हैं जहां पर बेहद खराब स्थिति है जो कि रेड जोन में हैं। इनमें चंडीगढ़ का नाम शामिल है।चंडीगढ़ के अलावा दिल्ली, चूरू, मंडीदीप और झुंझुनू ऐसे शहर है जो कि इस समय प्रदूषण के मामले में टॉप-5 में शामिल है और चंडीगढ़ का स्थान चौथा है। देश के बाकी सभी शहर ओरेंज और ग्रीन जोन में हैं। चंडीगढ़ में वाहनों की संख्या अन्य शहरों के मुकाबले में ज्यादा है। यहां पर 12 लाख वाहन पंजीकृत है।उतर भारत में दिल्ली के बाद चंडीगढ़ ऐसा शहर रहा है जहां प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।
अस्थमा के मरीजों के लिए बढ़ी परेशानी
ग्रीन सिटी होने के बावजूद शहर की हवा लगातार प्रदूषित हो रही है। सर्दियों में हवा घनत्व ज्यादा होता है इसलिए प्रदूषण लगातार बढ़ता रहता है। प्रदूषण के कण वातावरण के ऊपरी सतह पर है। रविवार की तरह सोमवार को भी पूरा दिन बादल छाए रहे। पीजीआई के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर रविंद्र खैवाल का कहना है कि प्रदूषण बढ़ने का सबसे ज्यादा परेशानी अस्थमा के मरीजों की बढ़ जाती है। अस्थमा अटैक की कई वजहें हो सकती हैं। इसमें ठंड के साथ वायु प्रदूषण अहम है। धुंआ अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है।
किस श्रेणी में क्या रहती है स्थिति
स्तर |
श्रेणी |
0-50 |
वायु शुद्ध |
51-100 |
संतोषजनक |
101-200 |
मध्यम |
201-300 |
खराब |
301-400 |
बेहद खराब |
401-500 |
गंभीर |
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