‘अब समय आ गया है…’, उपचुनाव के नतीजों के बाद बंगाल भाजपा में उठे बगावती सुर, नेताओं ने कर दी ये बड़ी मांग

पत्रकारों से बातचीत के दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता और विष्णुपुर से सांसद सौमित्र खां ने राज्य संगठन में नेतृत्व परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद राज्य संगठन में अधिक जवाबदेही और बदलाव की आवश्यकता है। यह बदलाव जरूरी है क्योंकि राज्य की जनता ने हमें एक संदेश दे दिया है। Bengal Politics पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों और हाल ही में संपन्न उपचुनावों में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद राज्य नेतृत्व को लेकर सवाल उठने लगे हैं। चुनावी नतीजों पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में कई नेताओं ने राज्य संगठन में बदलाव और जवाबदेही तय करने की मांग की है। नेताओं ने यहां तक कहा कि अब समय आ गया है कि नेतृत्व परिवर्तन किया जाए।
- सांसद सौमित्र खां ने प्रदेश नेतृत्व में परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर दिया।
- कई अन्य नेताओं ने भी कहा- राज्य इकाई में बदलाव समय की मांग है।
‘राज्य ईकाई में बदलाव समय की मांग’
एक अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि निराशाजनक चुनावी नतीजों के बाद राज्य इकाई में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। नेता ने कहा कि अगर हम 2026 के विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं, तो हमें जल्द से जल्द खुद को व्यवस्थित करना होगा। राज्य इकाई में बदलाव समय की मांग है।
उन्होंने यहां तक कहा कि जिन लोगों ने राज्य इकाई की ओर से निर्णय लिए हैं, उन्हें जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए और पद छोड़ देना चाहिए। खां की भावनाओं से सहमति जताते हुए बैरकपुर लोकसभा सीट से हारने वाले पूर्व भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने भी कमियों को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि हमें पार्टी की चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए, चाहे वे संगठनात्मक हों या अन्य। 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले कमियों का तेजी से समाधान करना चाहिए।
प्रदेश अध्यक्ष ने कड़ी मेहनत पर दिया जोर
इससे पहले बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय राज्यमंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि लोकसभा चुनाव के परिणाम राज्य में पार्टी की संभावनाओं के संकेतक नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह सच है कि लोकसभा चुनाव में हमारी सीटों की संख्या 18 से घटकर भले 12 हो गई है, लेकिन हम अभी बंगाल में पहले की ही तरह प्रासंगिक हैं। हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि कौन सी चीज काम नहीं कर पाई।
उन्होंने हार से सबक लेने और कड़ी मेहनत जारी रखने का आह्वान करते हुए तृणमूल के कुशासन के खिलाफ पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर लड़ने पर जोर दिया। मजूमदार ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि चुनाव जीतने में संगठनात्मक कौशल की भूमिका ज्यादा नहीं होती। जब कोई पार्टी जीतती है, तो हर कोई संगठनात्मक ताकत को श्रेय देता है और अगर वह हार जाती है तो हर कोई उसे दोष देता है। यह स्वाभाविक है।
अधिकारी बोले- मैं संगठन नहीं देखता
बैठक में बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने स्पष्ट कहा कि मैं संगठन का कामकाज नहीं देखता। उन्होंने कहा, ‘मैं विधानसभा में विपक्ष का नेता हूं और ऐसा कोई उदाहरण नहीं है, जहां मैंने पार्टी के खिलाफ टिप्पणी की हो। दूसरी बात यह कि मैं प्रदेश इकाई के संगठनात्मक कार्यों के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं हूं।’
चुनावी हार के बाद बुलाई गई थी बैठक
पिछले हफ्ते विधानसभा उपचुनाव में 2021 में जीती हुई तीन सीटों पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से शिकस्त मिलने के बाद कार्यसमिति की विस्तारित बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन का विश्लेषण किया गया और भविष्य की रूपरेखा तैयार की गई। लोकसभा चुनाव में राज्य में खराब प्रदर्शन के बाद उपचुनाव के परिणाम भी पार्टी के लिए निराशाजनक रहे हैं। हाल में संपन्न आम चुनाव में प्रदेश में भाजपा को 12 सीट ही मिली थीं, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 18 था।