राष्ट्रीय

खंडित जनादेश स्थापित लोकतांत्रिक परंपरा” का पालन

आम चुनावों: उच्च न्यायालय के सात पूर्व न्यायाधीशों ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक खुला पत्र लिखकर उनसे “स्थापित लोकतांत्रिक परंपरा” का पालन करने और 2024 के आम चुनावों में खंडित जनादेश होने की स्थिति में खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए सबसे बड़े चुनाव पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का आग्रह किया.

सत्तारूढ़ सरकार जनादेश खो देती है तो..
सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और मुख्य निर्वाचन आयुक्त से भी आग्रह किया कि यदि वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार जनादेश खो देती है, तो वे सत्ता का सुचारु हस्तांतरण सुनिश्चित करके संविधान को कायम रखें. खुले पत्र पर मद्रास उच्च न्यायालय के छह पूर्व न्यायाधीशों जी. एम. अकबर अली, अरुणा जगदीसन, डी. हरिपरन्थमन, पी.आर. शिवकुमार, सी.टी. सेल्वम, एस. विमला और पटना उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश अंजना प्रकाश के हस्ताक्षर हैं.

राष्ट्रपति के कंधों पर भारी जिम्मेदारियां..
उन्होंने कहा कि यह “वास्तविक चिंता” है कि यदि वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार जनादेश खो देती है, तो सत्ता का हस्तांतरण सुचारू नहीं हो पाएगा और संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है. पूर्व लोक सेवकों के ‘कॉन्स्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप’ (सीसीजी) के 25 मई के खुले पत्र से सहमति जताते हुए पूर्व न्यायाधीशों ने कहा, “हम उपरोक्त बयान में परिकल्पित परिदृश्य से सहमत होने के लिए बाध्य हैं: “खंडित जनादेश की स्थिति में, भारत के राष्ट्रपति के कंधों पर भारी जिम्मेदारियां आ जाएंगी.”

पूर्व जजों ने लिखा लेटर
इसमें कहा गया, “हमें पूरा भरोसा है कि वह पहले से स्थापित लोकतांत्रिक परंपरा का पालन करेंगी और सबसे अधिक सीटें जीतने वाले चुनाव-पूर्व गठबंधन को आमंत्रित करेंगी. साथ ही, वह खरीद-फरोख्त की संभावनाओं को भी रोकने का प्रयास करेंगी….” पत्र में प्रधान न्यायाधीश और मुख्य निर्वाचन आयुक्त से ऐसी स्थिति में संविधान को कायम रखने और सत्ता का सुचारु हस्तांतरण सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया.

 

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