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यह लू-प्रचंड गर्मी तो फायदेमंद है!

नौतपा: दिल्ली, यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश समेत पूरा उत्तर भारत और उत्तर पश्चिम इन दिनों भीषण गर्मी से तप रहा है. ज्यादातर हिस्सों में तापमान 45 के पार हो गया है और लोग गर्मी से झुलस रहे हैं. इधर, प्रचंड गर्मी और लू से जब पूरा देश तपा हुआ है, तो नौपता वाला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. आखिर क्या है नौतपा और इसके पीछे क्या कहानी…आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.

क्या है वायरल मैसेज?
वायरल मैसेज के अनुसार, “नौतपा के पहले दो दिन लू नहीं चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे. अगले दो दिन न चली तो कातरा (फसल को नुकसान पहुंचाने वाला कीट) बहुत हो जाएंगे. तीसरे दिन से दो दिन लू नहीं चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे. चौथे दिन से दो दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे. इसके बाद दो दिन लू नहीं चली तो विश्वर यानी सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे. आखिरी दो दिन भी नहीं चली तो आंधी अधिक चलेंगी, जो फसलें चौपट कर देगी.”

क्या है नौतपा और कब से हुई शुरुआत?

इस साल 25 मई से नौतपा की शुरुआत हो गई है और यह 2 जून को खत्म हो जाएगा. नौतपा अवधि के दौरान सूर्य की किरणें सीछे पृथ्वी पर पड़ती है और लोगों को तेज धूप का सामना करना पड़ता है. रोहिणी नक्षत्र आते ही नौतपा की शुरुआत होती है और लोगों को झुलसा देने वाली गर्मी से सामना होता है. हालांकि, किसान समाज इसे सही मानता है.

भारतीय ज्योतिष के अनुसार जब सृर्य रोहणी नक्षत्र में प्रवेश करता है और 9 दिनों तक रहता है तो इसको नौतपा अवधि कहते हैं. नौतपा अवधि मई के अंत और जून के पहले सप्ताह में आता है.

किसान को रहता है नौतपा का इंतजार….

किसानों को नौतपा आने का इंतजार रहता है. उनका मनना है कि नौतपा खूब तपाएगा तो बारिश जमकर होगी. एक कहावत में कहा गया है- तपै नवतपा नव दिन जोय, तौ पुन बरखा पूरन होय. हालांकि, विज्ञान नौतपा को नहीं मानता है.

गर्मी, उमस और लू के थपेड़े अब लोगों के लिए बर्दाश्त से बाहर हो रहे हैं. 25 मई से नौतपा की भी शुरुआत हो चुकी है, जो 2 जून तक रहेगा. इस दौरान गर्मी रोज नए रिकॉर्ड बनाएगी. भीषण गर्मी के बीच उत्तर पश्चिम में 17 स्थानों पर तापमान 48 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया. हरियाणा के सिरसा में तापमान 48.4 डिग्री दर्ज किया गया. राजस्थान में लू के मरीजों की संख्या सोमवार को 2809 से बढ़कर 3622 हो गई. बेंगलुरु-मुंबई और हैदराबाद का भी यही हाल है.

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