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बिजली कंपनियों की देनदारी के समायोजन के लिए याचिका दाखिल

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं की ‘निकली 19500 करोड रुपए से ज्यादा की देनदारी के समायोजन के लिए बुधवार को नियामक आयोग में एक याचिका दाखिल की गई। याचिका दाखिल करने वाले उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने बुधवार को बताया कि विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के मुताबिक बिजली कंपनियों को सरकार से मिले लाभों का फायदा प्रदेश के उपभोक्ताओं तक पहुंचाना होता है और कंपनियां अक्सर बिजली की कीमतों में जरूरत से ज्यादा बढ़ोत्तरी कर लेती हैं जिससे इस लाभ का हस्तांतरण उपभोक्ता को नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि ऑडिट के बाद प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का अब तक बिजली कम्पनियों पर कुल 19535 करोड़ रुपये का बकाया निकल रहा है। यह लाभ प्रदेश के तीन करोड़ उपभोक्ताओं को दिलाने के लिये नियामक आयोग से याचिका के जरिये बिजली दरों में कमी की मांग उठायी गयी है। वर्मा ने बताया कि विद्युत उपभोक्ताओं को कुल 19535 करोड रुपये का लाभ मिलना उनका संवैधानिक हक है। इस पूरी रकम का फायदा एक साथ उपभोक्ताओं को देने से प्रदेश के बिजली कम्पनियों की आर्थिक स्थिति बिगड सकती है, इसलिये उपभोक्ता परिषद चाहती है कि इसका लाभ अगले तीन वर्षों के दौरान उपभोक्ताओं को मिले। उन्होंने कहा कि इसका समायोजन तभी संभव होगा जब अगले तीन वर्षों तक प्रदेश के घरेलू ग्रामीण व शहरी विद्युत उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज को पूरी तरह समाप्त किया जाये। वाणिज्यिक विद्युत उपभोक्ताओं के न्यूनतम शुल्क को खत्म करते हुए स्थाई मांग शुल्क में 10 प्रतिशत की कटौती की जाये। वर्मा ने कहा कि इसके अलावा किसानों से वसूली जाने वाली बिजली दर को 170 से घटाकर 150 रुपए प्रति हार्स पावर किया जाए, बिना मीटर वाले ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं की मौजूदा दर 500 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह में 30 प्रतिशत की कटौती करते हुये उसका निर्धारण किया जाये।

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