खसरा बीमारी के चलते भारत में भी खतरा,बच्चों के लिए अच्छी इम्यूनिटी और समय पर वैक्सीन डोज जरूरी
खसरा क्या है ? ये कैसे होता है जानिए ?
-
इससे बच्चों की सेहत पर क्या असर पड़ता है?
-
खसरा क्या है, यह शरीर में कैसे प्रवेश करता है
खसरा पैरामाइक्सोवायरस से होने वाली एक संक्रामक बीमारी है। खसरा पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने पर कोई भी संक्रमित हो सकता है। खसरे का वायरस मुंह और नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। सांस नली से होते हुए यह वायरस फेफड़े में पहुंचता है। फिर मैक्रोफेज और डेनड्राइटिक सेल्स को संक्रमित करता है।
यह दोनों फेफड़े के ऊतकों में मौजूद इम्यून सेल्स हैं, जो बीमारियों से लड़ने, एंटीबॉडी बनाने और शरीर को संक्रमण से सुरक्षित रखने का काम करती हैं। खसरे का वायरस सीधे उन्हीं इम्यून सेल्स पर अटैक करता है। जैसे कोई दुश्मन आए और सीधे हमारे सिक्योरिटी गार्ड पर ही हमला कर दे। ऐसे में हमारी इम्यूनिटी यानी खुद को बचाने की ताकत कमजोर हो जाती है और हम संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं।
खसरे को रोकने के लिए टीके की दो डोज जरूरी, इमिनुटी सिस्टम मजबूत करके बच सकते है –
खसरे के वायरस को रोकने के लिए MMR (Measles, Mumps, Rubella) टीका दिया जाता है। यह टीका खसरे के साथ मम्प्स (कंठमाला) और रूबेला के खतरे से भी बचाता है। MMR टीके से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है। यह टीका लगाने के बाद जब भी शरीर पर वायरस का अटैक होता है तो टीके के कारण शरीर में विकसित हुई एंटीबॉडी वायरस के असर को कम कर देती है और संक्रमित होने से बचा सकते है ।
• यह टीका दो बार लगाया जाता है। MMR टीके की दो डोज खसरे के वायरस को रोकने में लगभग 97% प्रभावी है।
• बच्चों को पहली डोज 12 से 15 माह की उम्र के बीच दी जाती है।
• दूसरी डोज 4 से 6 वर्ष की उम्र में लगाई जाती है।
• इम्यूनिटी कमजोर है तो 12 से 15 साल के बच्चों को MMR का बूस्टर डोज लगाया जाता है।