मंदिर का भूतल और प्रथम तल का काम पूरा(मंदिर)
अयोध्या। कार्यशाला में नवनिर्मित रामलला के विग्रह के समक्ष सस्वर वेदपाठ करते बटुक वैसा ही दृश्य जीवंत करते हैं, जिसके लिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कि “बेद पुरान सुनहिं मन लाई। आपु कहहिं अनुजन्ह समुझाई॥” यह उस अनुष्ठान का हिस्सा है जो रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के पहले संपादित किए जा रहे हैं।
रामजन्मभूमि परिसर के भीतर नियमित यज्ञ चल रहा है तो रामलला की नवनिर्मित तीनों प्रतिमाओं को नित्य वेद का पाठ सुनाया जा रहा है। मूर्ति निर्माण पूर्ण होने के साथ ही यह प्रक्रिया शुरू हो गई। कारसेवकपुम के वेद विद्यालय के वेद पाठी प्रतिमाओं के सम्मुख वेद पाठ करते हैं। 16 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान प्रारंभ हो जाएगा।
प्रथम चरण में मंदिर का भूतल व प्रथम तल का पूरा
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने शनिवार को स्पष्ट किया कि जो मूर्ति स्थापित होगी, वह पांच वर्ष के बालक की छवि तथा राजपुत्र की गरिमा के अनुरूप होगी और यह काले पत्थर से निर्मित की गई है। स्थापना के लिए रामलला की तीन मूर्तियां निर्मित कराई गई हैं। इनमें से दो श्यामवर्णी शिला से निर्मित हैं और एक संगमरमर से। एक करोड़ घंटे सुरक्षित और दुर्घटना रहित कार्य: मंदिर (मंदिर) के प्रथम चरण का कार्य पूरा हो गया है। इसके लिए कार्यदायी संस्था लार्सन एंड टुब्रो ने एक करोड़ घंटे सुरक्षित, दुर्घटना रहित कार्य किया। प्रथम चरण में मंदिर का भूतल व प्रथम तल पूर्ण हो गया है।
मंदिर के नृत्य, रंग, प्रार्थना व कीर्तन मंडप के शिखर पूर्ण
इस साइट को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने प्रमाणपत्र भी दिया। मंदिर के नृत्य, रंग, प्रार्थना व कीर्तन मंडप के शिखर पूर्ण हो गए हैं। मंदिर में मुख्य शिखर सहित पांच उप शिखर होंगे। गूढ़ व मुख्य मंदिर का शिखर द्वितीय तल के निर्माण के साथ ही पूर्ण होगा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर परिसर में होने वाली पीएम नरेंद्र मोदी की सभा की तैयारी हो रही है। मंदिर के सामने हिस्से में लगे दो टॉवर क्रेन भी हटाए जाएंगे।
मंदिर के खंभे, दीवारों पर देवी देवताओं की मूर्तियां उत्कीर्ण
भक्तों का प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा। मंदिर के खंभे, दीवारों पर देवी देवताओं तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। कार्यदायी संस्था के निदेशक वीके मेहता ने प्रथम चरण के अंतर्गत आवंटित कार्यों के पूर्ण होने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि कुछ छिटपुट कार्य ही शेष हैं। प्राण प्रतिष्ठा के लिए मंदिर के प्रथम तल को भी 15 जनवरी तक अंतिम स्पर्श दे दिया जाएगा। तीन से लेकर चार हजार तक श्रमिकों ने समय-समय पर कार्य किया। कपाटों पर स्वर्ण मंडन प्रारंभ: मंदिर के भूतल पर 18 कपाट लगेंगे, इनमें से 14 कपाटों पर स्वर्ण जड़ा जाएगा। परिसर में ही यह कार्य प्रारंभ हो गया है।
स्वर्ण मंडित कपाटों को मंदिर में लगा दिया जाएगा
विशेषज्ञों ने बताया कि जल्द ही स्वर्ण मंडित कपाटों को मंदिर में लगा दिया जाएगा। इसे 15 जनवरी के पहले ही पूर्ण करने का लक्ष्य है। मधु व घी के मिश्रण से युक्त सोने की श्लाका से खुलेगी दृष्टि: प्राण प्रतिष्ठा के पहले प्रतिमा को तीर्थों के जल, औषधियों, आम, पाकड़, गूलर, शालमली पेड़ों के पत्तों व छाल का काढ़ा बना कर स्नान कराया जाएगा। कई प्रकार के न्यास के बाद भगवान को शयन करा दिया जाएगा।
न्यास के पारायण से प्रतिमाओं में दिव्यता आती है। इसके बाद भगवान की प्रतिमा के नेत्रों पर बंधी पट्टी को हटा कर शहद व घी के मिश्रण से युक्त स्वर्ण श्लाका से भगवान के नेत्रों को खोला जाएगा। गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ की उपस्थिति में वैदिक विधान का संपादन होगा।