अंतराष्ट्रीय

फिर से इतिहास रचने वाला है इसरो(इसरो)

चंद्रयान-4: चंद्रयान-3 के सफलता के बाद इसरो के हौसले काफी बुलंद है. अंतरिक्ष मिशन के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी देश ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपने यान को लैंड कराया हो. चांद्रयान-3 के बाद भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO  (इसरो) अपने मून मिशन चंद्रयान-4 की तैयारी में जुट गया है. इसके लिए उसने जापान के स्पेस एजेंसी JAXA से पार्टनरशिप भी किया है. मालूम हो कि ये चौथा मून मिशन पिछले बिलकुल अलग है.

चंद्रयान-3 को इस प्रकार तैयार नहीं किया गया था कि वह पृथ्वी पर वापस लौट सके, लेकिन जो भी हो चंद्रयान-3 के रोवर और विक्रम लैंडर ने 14 दिनों तक इसरो को अहम् जानकारियां और डेटा उपलब्ध कराया था. इससे इतर चंद्रयान-4 चांद पर जाएगा, लैंड करेगा और वहां से सैंपल लेकर धरती पर वापस लौटेगा.

अभी कुछ दिन पहले, स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर निलेश देसाई ने इंडियन ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी इंस्टिट्यूट को संबोधित करते हुए इसरो के चंद्रमा के चौथे मिशन चंद्रयान-4 के बारे में जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था, ‘अंतरिक्ष यान चंद्रमा की यात्रा करेगा, लैंड करेगा, सैंपल इकट्ठे करेगा और फिर अंतरिक्ष में दूसरे मॉड्यूल से जुड़ेगा. जब दोनों पृथ्वी के पास आएंगे तो फिर से अलग हो कर एक तीव्र वेग बनाएंगे. एक हिस्सा धरती पर आ जाएगा, जबकि दूसरा मॉड्यूल पृथ्वी का परिक्रमा करते रहेगा.’

एसएसी के डायरेक्टर ने बताया कि, अगले 5 से 7 सालों में इसकी तैयारी पूरी कर ली जाएगी. यह एक महत्वकांक्षी मिशन है. चंद्रयान-4 पीछे के सभी मिशन से काफी मुश्किल भरा होगा. जहां चंद्रयान-3 के रोवर का वजन 30 किलोग्राम था, लेकिन चंद्रयान-4 में इसका नजन बढ़कर 350 किलोग्राम हो जाएगा. फिछले मिशन के रोवर के आकार 500mX500m की तुलना में बढ़कर 1000mX1000m हो जाएगा.

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