छापे में जब्त हजारों करोड़ का क्या करती हैं जांच एजेंसियां ( जब्त )
नई दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय केंद्रीय जांच ब्यूरो और इनकम टैक्स विभाग की ओर से छापेमारी की खबरें तो लगातार आती रहती हैं. आपने भी अखबारों और टीवी समाचारों में हजारों करोड़ की नोटों की गड्डियां और कई किलो सोने-चांदी के आभूषण जब्त ( जब्त ) होने की तस्वीरें व फुटेज भी देखी होंगी. आखिर बड़ी मात्रा में जब्त किया यह पैसा जाता कहां है और इस पर किसका अधिकार होता है.
दरअसल, साल 2019 में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट लागू होने के बाद से ईडी की छापेमारी देशभर में कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है. विदेश से गलत तरीके से पैसे कमाने का मामला हो या फिर भारत से गलत तरीके से पैसों को विदेश भेजने अथवा हवाला के जरिये लेनदेन का मामला हो,ईडी हर केस को अपने हाथ में लेता है. अनुमान है कि अब तक ईडी ने देशभर में छापेमारी से करीब 1.04 लाख करोड़ रुपये की नकदी जब्त की है, जबकि सैकड़ों किलोग्राम सोने-चांदी के आभूषण भी छापेमारी में बरामद किए जा चुके हैं.
कैसे होती है कि जब्ती की कार्रवाई
ईडी या सीबीआई जब किसी पर छापेमारी की कार्रवाई करती है तो जब्त किए गए सामान रुपये, आभूषण, चल या अचल संपत्ति का पंचनामा करती है और सभी चीजों की डिटेल लिस्ट बनाकर फिर उसे अपने कब्जे में लेती है. पंचनामा और जब्त सामान की डिटेल पर जिस व्यक्ति पर छापेमारी की गई है, उसके हस्ताक्षर होते हैं. साथ में दो गवाहों के भी हस्ताक्षर इस पंचनामे पर लिए जाते हैं.
ईडी की ओर से जब्त की गई संपत्ति को सरकार के वेयरहाउस में रखवा दिया जाता है. कई बार जब्त किए गए पैसों को रिजर्व बैंक या फिर एसबीआई में सरकार के खाते में जमा कर दिया जाता है. इससे पैसों के खराब होने या उन्हें नुकसान पहुंचने का खतरा नहीं रहता. ईडी इन जब्त किए गए पैसों और संपत्तियों को अधिकतम 180 दिन तक अपने पास रख सकता है. इस दौरान उसे अदालत में इन संपत्तियों से जुड़े आरोपों को सही साबित करना होगा.
आरोप सिद्ध न हुए तो…
ईडी पर यह दबाव होता है कि उसे जब्त की गई संपत्तियों से जुड़े आरोपों को 6 महीने के भीतर साबित करना पड़ेगा. कोर्ट में आरोप सही साबित होने पर संपत्ति सरकार के पास चली जाती है. अगर ईडी इन आरोपों को साबित करने में नाकाम रही तो संपत्ति वापस उस व्यक्ति को दे दी जाती है, जिससे जब्त की गई थी. अगर मामला केंद्र सरकार से जुड़ा है तो रुपये को केंद्र सरकार के खाते में जमा किया जाता है, जबकि राज्यों से जुड़े मामले में जब्त रुपये को राज्य सरकार के खाते में जमा कराया जाता है. कुछ मामलों में अदालत जुर्माना लगाकर जब्त किए गए पैसों को संबंधित व्यक्ति को वापस कर देती है.
हालांकि, जब्त की गई संपत्ति तभी उस व्यक्ति को वापस की जाती है, जब वह ये बात साबित करने में कामयाब हो जाता है कि यह संपत्ति उसने वैध तरीके से कमाई है. कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के मामले में कानून थोड़ी राहत देता है और जब्त करने के बाद भी जब तक मामला अदालत में रहता है, इस प्रॉपर्टी का इस्तेमाल किया जा सकता है.