बिहार में जाति के मुद्दे पर सियासत जारी(बिहार में )
पटना. बिहार में (बिहार में ) इन दिनों जाति की राजनीति चरम पर है. दरअसल बिहार में जब से जातिगत गणना का सर्वे रिपोर्ट जारी हुआ तब से अलग-अलग जतियों को लेकर चर्चा तेज हो गई है. विभिन्न जाति के नेताओं का बयान भी सामने आ रहा है, जिसमें वो कह रहे हैं कि उनकी जाति की आबादी कम करके गिनी गई है. अब ऐसे में बिहार में फिलहाल जाति के मुद्दे पर सियासत जारी है. वहीं इन सबके बीच बिहार की कुछ ऐसी जातियां हैं, जिनका नाम भी बहुत कम लोगों ने ही सुना होगा.
दरअसल इन जातियों के नाम भी थोड़े अलग हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि बिहार में इन जतियों की आबादी 500 से भी कम है. जानकारी के अनुसार कुछ जातियां ऐसी हैं जो कि विलुप्त होने के कगार पर हैं, जिनकी आबादी सिंगल डिजिट में है. बिहार में जातिगत जनगणना सर्वे रिपोर्ट जारी होने के बाद ऐसी जातियों पर चर्चा शुरू हो गयी है. ऐसी में न्यूज़ 18 हिन्दी आपको ऐसी ही कुछ अनोखी जातियों के बारे में बताने जा रहा है.
भास्कर- बिहार में भास्कर जाति की आबादी मात्र 37 है और इनका जाति का प्रतिशत 0.0000% है.जदूपतिया- बिहार में इस जाति की आबादी मात्र 93 है और इनका प्रतिशत 0.0001 है.कोरकू- बिहार में कोरकू जाति की आबादी मात्र 102 है. यानि इनकी आबादी 0.0001% है.कौस्ता- बिहार में कौस्ता जाति की आबादी मात्र 338 है और इनका प्रतिशत 0.0003 हैखेलटा- खेलटा जाति की आबादी मात्र 246 है और इनका प्रतिशत 0.0002 है.खौंड- खौंड जाति की आबादी मात्र 303 है और यह 0.0002 प्रतिशत है.ढेकार- ढेकारू जाति की आबादी मात्र 190 है और इनका 0.0001 प्रतिशत हपरथा- परथा जाति की आबादी मात्र 349 और इनका 0.0003% है.पहिरा- पहिरा जाति की आबादी मात्र 226 है और इनका 0.0002 प्रतिशत है.पिनगनीया- इस जाति की आबादी मात्र 390 है और इसका 0.0003% हैबिंझीया- इस जाति की आबादी है 448 और इनका 0.0003% है.बिरहोर- इस जाति की आबादी है मात्र 359 और इनका प्रतिशत है 0.0003विरज़िया- इस जाति की आबादी मात्र 169 है और प्रतिशत 0.0001 है.सूत्रधार- सूत्रधार जाति की आबादी 499 है. वहीं उनकी आबादी का प्रतिशत 0.0004% है.सौटा- सौटा जाति की आबादी है मात्र 107 और इनका प्रतिशत है.0.0001% है.संतराश- इस जाति की आबादी मात्र २८७ है और इनका प्रतिशत है 0.0002%हो-हो जाति की आबादी है मात्र १४३ और इनका प्रतिशत है 0.0001%धरामी- इस जाति की आबादी है मात्र ३१२ और प्रतिशत है 0.0002% है.
दरअसल ये कुछ ऐसी जातियां हैं जिनकी आबादी की चर्चा अमूमन नहीं के बराबर होती है. ये जातियां धीरे धीरे विलुप्त होने के कगार पर हैं. ऐसे में जरूरत है कि सरकार इन जातियों पर ध्यान दे ताकि इन जातियों का अस्तित्व बरकरार रहे.
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