सुप्रीम कोर्ट का बेरियम वाले पटाखों पर प्रतिबंध(सुप्रीम कोर्ट )

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आज पटाखा निर्माता संघ की ग्रीन पटाखों में बेहतर फॉर्मूलेशन के साथ बेरियम को शामिल करने के लिए दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट (सुप्रीम कोर्ट ) ने साफ किया कि पटाखों में बेरियम-आधारित रसायनों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाले उसके पहले के आदेश लागू रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा निर्माताओं से जुड़े पटाखों का उपयोग करने के लिए दायर एक और आवेदन को भी खारिज कर दिया. जस्टिस एएस बोपन्ना और एमएम सुंदरेश की पीठ ने ये आदेश पारित किया. जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि ‘ये दो आवेदन हमने फिलहाल अस्वीकार कर दिए हैं. अन्य आवेदन लंबित रखे गए हैं.’
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि पटाखों में बेरियम का उपयोग बैन होने के बावजूद उनमें धड़ल्ले से इस जहरीले रसायन का उपयोग हो रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पटाखों की कई किस्मों की एक जांच में पाया गया कि उनमें से ज्यादातर में बेरियम का इस्तेमाल हुआ था. इस जहरीली धातु के पटाखों में उपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया है. सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इनमें से कई पटाखों को बाजार में ‘ग्रीन पटाखों’ के रूप में बेचा गया था. इसके अलावा पटाखों की पैकेजिंग पर यह नहीं लिखा गया था कि इनमें बेरियम का इस्तेमाल किया गया है.
पटाखों में आखिर क्यों इस्तेमाल होता है बेरियम
आतिशबाजी में हरा रंग पैदा करने के लिए पटाखों में बेरियम का इस्तेमाल किया जाता है. यह पटाखों को लंबी शेल्फ-लाइफ देने के लिए एक स्थिर एजेंट के रूप में भी काम करता है. साथ ही पटाखों में आर्सेनिक, सीसा, सल्फर और क्लोरीन की अलग-अलग मात्रा इस्तेमाल की जाती है, जिन्हें केंद्र सरकार के खतरनाक रासायनिक नियम (2000) के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है. बेरियम के संपर्क में आने से गंभीर गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल संकट पैदा हो सकता है. यह अक्सर उल्टी, पेट में दर्द और दस्त और कभी-कभी हाइपोकैलिमिया (शरीर में पोटेशियम का कम स्तर) नामक संभावित घातक स्थिति का कारण बनता है.
लोगों के स्वास्थ्य पर इस रसायन के खतरनाक प्रभाव के बारे में हेल्थ एक्सपर्ट्स अक्सर गंभीर चिंता जताते रहे हैं. किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए निर्माताओं ने पैकेजिंग पर सामग्री की सूची से बेरियम को हटा दिया है, मगर उसका