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पेंटागन मॉल का अस्तित्व ख़तरे में

शिवाकान्त पाठक

सिडकुल पेंटागन मॉल की अगर बात करें। तो इसका निर्माण अच्छी खासी रकम खर्च कर किया गया था। चूंकि यह एक ऐसा क्षेत्र है। जहां सन 2000 के बाद औद्योगिक इकाई का भी निर्माण हुआ था। जिसके चलते यहां। व्यापारिक गतिविधियों को देखते हुए।लाभ लेने की मंशा से पेंटागन मॉल का भी निर्माण किया गया था।हालॉकि आरम्भ के कुछ दिनों में तो मॉल ठीक ठाक चला। चूंकि हरिद्वार शहर का यह एक मात्र मॉल था।लोगो मे मॉल देखने की इच्छा के चलते लोग घूमने आते रहे। लेकिन जैसे जैसे लोगो का आगमन कम होता गया। वैसे वैसे मॉल में ग्राहकों की रौनक भी कम होती चली गई। आज हालात ये हो चुके है। कि मात्र रविवार के दिन ही मॉल में ग्राहकों का आना जाना देखा जाता है। हालांकि इक्का दुक्का ग्राहक हर समय नजर आ जाते है। परंतु एक मॉल के अंदर ग्राहकों की जो रौनक नजर आनी चाहिए। ऐसा यहां अब देखने को नही मिलता।ऊपर से रही सही कमी को कोरोना के चलते लोकडाउन ने ओर सरकार की गाइडलाइन ने पूरा कर दिया।जिसके बाद तो मॉल के हालात बद से बत्तर हो गए।

पेंटागन मॉल में एक के बाद एक बंद हो रही दुकाने।

आपको बता दें कि कोरोना काल के चलते दुकानदारों के हालात ही अच्छे नही है। दुकानदारों की अगर माने तो आज वह न तो दुकान का किराया भरने की हिम्मत रखते है। और न ही दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों का वेतन निकाल पा रहे है। जिसके चलते कुछ दुकानदार दुकाने खाली कर चलते बन रहे है।ओर आगे भी मॉल छोड़ निकलने की योजना बना रहे है।

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