अंतराष्ट्रीय

चांद पर 40 तो फिर सूर्य   ( सूर्य )पर कितने दिन लगेंगे

नई दिल्‍ली. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक लैंड होने के बाद हर कोई भारत की तारीफ कर रहा है. ऐसा होना लाजमी भी है क्‍योंकि ISRO के जाबाज वैज्ञानिकों ने वो काम करके दिखाया है, जो आज से पहले कोई अन्‍य देश नहीं कर पाया था. चंद्र मिशन से उत्‍साहित होकर अब इसरो सूरज पर अपना मिशन भेजने जा रहा है. सूरज  ( सूर्य ) पर भेजे जा रहे मिशन का नाम आदित्‍य एल-1 है. इसे दो सितंबर को पृथ्‍वी से रवाना किया जाएगा.

यहां मन में एक सवाल उठना लाजमी है कि चांद तो पृथ्‍वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है. इसके बावजूद वहां पहुंचने में चंद्रयान-3 को 40 दिन का लंबा वक्‍त लगा. वहीं, अगर सूरज की बात की जाए तो वो पृथ्‍वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है. भारत के आदित्‍य एल-1 मिशन को सूरज के समीप पहुंचने में आखिर कितना वक्‍त लगने वाला है. चलिए हम आपको इसके बारे में जानकारी उपलब्‍ध कराते हैं. दरअसल, इसरो का कहना है कि महज 110 दिन में भारत का एल-1 अपने सौर्य मिशन की यात्रा को पूरा करेगा.

सौर्य मिशन का नाम आदित्‍य एल-1 क्‍यों?
चांद पर मिशन का नाम चंद्रयान रखा गया. ऐसे में सूरज पर मिशन के नाम में सन, सूरज व सौर्य जैसे किसी शब्‍द का प्रयोग नहीं है. इसरो की तरफ से बताया गया कि सौर्य मिशन के लिए आदित्‍य एल-1 नाम की उत्‍पत्ति कैसे हुई है. दरअसल, इसरो का सौर्य मिशन सूरज पर उतरने नहीं जा रहा है. वो केवल सूरज की कक्षा लैग्रेंज बिंदु-1 पर एक सैटेलाइट के तौर पर चक्‍कर लगाएगा. यही वजह है कि इसके नाम में एल-1 शब्‍द को जोड़ा गया.

क्‍या है आदित्‍य एल-1 मिशन का मकसद?
इसरो की तरफ से बताया गया कि आदित्‍य एल-1 मिशन सूरज की स्‍टडी करेगा और वहां होने वाली गतिविधियों का पता लगाएगा. इस मिशन के माध्‍यम से सूरज की गतिविधियों से पृथ्‍वी व अन्‍य ग्रहों पर होने वाले असर के बारे में जांच की जाएगी. साथ ही अंतरिक्ष में होने वाली गतिविधियों का भी पता लगाया जाएगा. आदित्‍य एल-1 सूरज के फोटोस्फीयर, क्रोमोस्‍फीयर, बाहरी सतह कोरोना पर नजर रखेगा. आसपास मौजूद कणों का अध्‍ययन किया जाएगा. इलेक्‍ट्रोमैगनेटिक कणों और चुंबकीय क्षेत्र इसमें मदद करेगा.

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