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क्या खत्म हो जाना था अनुच्छेद 370(अनुच्छेद 370 ) का अस्तित्व?

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370  (अनुच्छेद 370 ) को निष्प्रभावी किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर मंगलवार को आठवें दिन सुनवाई की. इस दौरान प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक बार फिर टिप्पणी की कि भारतीय संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो इसे जम्मू-कश्मीर में लागू होने से रोकता हो. इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर संविधान का अनुच्छेद 5 दर्शाता है कि भारतीय संविधान जम्मू-कश्मीर पर भी लागू होगा.’

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच की यह टिप्पणी तब आई जब हस्तक्षेपकर्ता प्रेम शंकर झा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दिनेश द्विवेदी ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 370, जो पूर्ववर्ती राज्य को विशेष दर्जा देता था, में से कुछ भी जम्मू-कश्मीर का संविधान बनने के बाद बचा नहीं है. 26 जनवरी, 1957 को अधिनियमित किया गया और राज्य की संविधान सभा का कार्यकाल समाप्त हो गया.

CJI चंद्रचूड़ ने उठाए ये सवाल
इस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि, ‘अनुच्छेद 370 की ऐसी कौन सी विशेषताएं हैं, जो दर्शाती हैं कि जम्मू-कश्मीर संविधान बनने के बाद इसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा? क्या संविधान सभा के किसी सदस्य द्वारा दिया गया भाषण जम्मू-कश्मीर के प्रति राष्ट्र की बाध्यकारी प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व कर सकता है? और क्या 1957 में संविधान सभा द्वारा अपना निर्णय लेने के बाद, क्या संप्रभु भारत के पास संविधान के किसी भी प्रावधान को लागू करने की कोई शक्ति नहीं होगी?

दरअसल अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के 5 अगस्त, 2019 के फैसले को चुनौती देने वाले प्रेम शंकर झा ने कानूनी सवाल उठाया कि क्या जम्मू-कश्मीर के संविधान के लागू होने और संविधान सभा के विघटन के बाद अनुच्छेद 370 का संचालन या अस्तित्व समाप्त हो गया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दलीलों की वैधता पर सवाल उठाए.

जस्टिस कौल भी दलीलों से दिखे असहमत
सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में शामिल जस्टिस संजय किशन कौल ने भी कहा कि यह स्वीकार करना कठिन है कि संविधान सभा की बहस इस आश्वासन तक सीमित थी कि अनुच्छेद 370 अपने आप समाप्त हो जाएगा. अगर आप जो कह रहे हैं, उसे हम स्वीकार कर लें, तो क्या होगा.

सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है, जो बुधवार को भी जारी रहेगी. इस बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत भी शामिल हैं.

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