क्या मंगल ग्रह (मंगल ग्रह )पर जीवन संभव है?

नासा के वैज्ञानिकों का को लेकर एक अभूतपूर्व खोज साइंस मैगजीन नेचर में प्रकाशित हुई है. नासा के क्यूरियोसिटी मार्स रोवर के डाटा से प्राप्त कुछ फोटोज़ से वैज्ञानिकों ने लाल ग्रह (मंगल ग्रह ) पर जीवन की संभावना जताई है.
नासा के क्यूरियोसिटी मार्स रोवर द्वारा कैप्चर किए गए एक विशिष्ट गीले-सूखे चक्र से संभावना जताई जा रही है कि पूर्व में मंगल ग्रह पर जीवन था.
रोवर ने एक विशिष्ट हेक्सागोनल पैटर्न खोजा है, जो अच्छी तरह से संरक्षित मिट्टी पर दरार के रूप विकसित है.
फ्रांस के इंस्टिट्यूट डी रेकेर्चे एन एस्ट्रोफिजिक एट प्लैनेटोलॉजी के विलियम रैपिन ने कहा कि, ‘ये विशेष मिट्टी की दरारें तब बनती हैं जब गीली-सूखी स्थिति बार-बार होती है- शायद मौसम में लगातार बदलाव की वजह से.’ ये खोज मिट्टी समृद्ध परत और सल्फेट के नमकीन के बीच एक ट्रांजिशन की वजह से निर्मित हुआ है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि बार-बार संपर्क में आने की वजह से ये जंक्शन नरम हो गए हैं और ये Y आकार में बदल गए. और बाद में ये हेक्सागोनल पैटर्न में तब्दील हो गए.
वैज्ञानिक रपिन ने कहा, ‘यह एक ठोस सबूत है जो दिखता है पृथ्वी के समान मंगल ग्रह पर भी नियमित जलवायु थे जो यहां पर गीले सूखे चक्र का निर्माण करते थे. उससे भी महत्वपूर्ण ये है कि ये गीले-सूखे चक्र इस बात की संभावना हैं कि ये आण्विक विकास में सहायक हो सकता है, जिससे यहां जीवन का जन्म हो सकता है.’
हालांकि जीवन के लिए पानी बहुत जरूरी है, इसकी सावधानी पूर्वक संतुलन की आवश्यकता है. वहीं ये गीला-सूखा चक्र पॉलिमर के निर्माण वाले रसायनों को कंट्रोल करता है. और यहीं पॉलिमर्स कार्बन आधारित अणुओं की लंबी श्रृंखला को नियंत्रित करता है जो बाद में जीवन के निर्माण के महत्वपूर्ण रासायनिक खंड माने जाते हैं.