सूंघने की शक्ति खोने का मतलब है(सूंघने-)
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मस्तिष्क संबंधित एक सर्वे आधारित एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों में, अल्जाइमर रोग के सबसे अधिक जोखिम से जुड़ा हुए एपीओई ई4 जीन वेरिएंट होता है, वे लोग गंध को समझने की क्षमता जल्दी गंवाने का अनुभव कर सकते हैं. यह गंध (सूंघने-) की पहचान करने की कमजोर होती क्षमता भविष्य में संज्ञानात्मक और याद्दाश्त समस्याओं से संबंधित शुरुआती चेतावनी का संकेत हो सकती है.
क्या अल्जाइमर रोग के लिए जोखिम बढ़ाने वाले जीन का संबंध हमारी गंध पहचानने की क्षमता से है. ऐसे में अगर हम किसी व्यक्ति में सूंघने की क्षमता में गड़बड़ी पाते हैं तो क्या इससे हमें उसमें अल्जाइमर रोग जैसे विकार की संभावना को जल्दी पहचानने में मदद मिल सकती है. अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के चिकित्सकीय जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित नए अध्ययन की मानें तो ऐसी जानकारी वास्तव में बहुत उपयोगी हो सकती है. शोध के अनुसार, अल्जाइमर रोग के सबसे अधिक जोखिम से जुड़ा हुए एपीओई ई4 जीन वेरिएंट धारक लोगो में गंध को समझने की क्षमता जल्दी गंवाने की संभावना होती है.
अध्ययन के लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एमडी मैथ्यू एस गुडस्मिथ का कहना है कि लोगों की गंध पहचानने की क्षमता का परीक्षण करना एक बहुत ही उपयोगी तरीका हो सकता है जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि भविष्य में व्यक्ति को संज्ञानात्मक समस्या होगी कि नहीं.इस विषयप र और अधिक शोध की जरूरत है, लेकिन शोध के नतीजे डिमेन्शिया जैसे रोगों के शुरुआती जोखिम पहचाने में सहायक हो सकते हैं.
इस अध्यन में एक सर्वे किया गया जिसमें 865 से ज्यादा लोगों में सूंघने की क्षमता का परीक्षण किया गया था. पांच साल के अंतर में किए गए परीक्षणों में प्रतिभागियों से पूछा गया था कि क्या वे किसी गंध को महसूस कर कर हैं, अगर हां तो वह किस तरह की गंध है. इसी के साथ साथ लोगों की सोचने और याद्दाश्यत क्षमताओं को भी पांच साल के अंतर में दो बार परखा गया.
इसके साथ ही प्रतिभागियों के डीएनए नमूनों ने शोधकर्ताओं को यह जानकारी दी कि किसके पास अल्जाइमर रोग की अधिक जोखिम से संबंधित जीन है. क्या लोग कोई गंध महसूस कर सकते हैं या नहीं इस टेस्ट में शून्य से छह के बीच में अंक दिए गए जो अलग अलग मात्राओं की कितनी गंध सूंघ पाते हैं इस पर आधारित थे. जीन वेरिएंट वाले प्रतिभागियों में गंध पहचानने की अच्छी क्षमता की 37 फीसद कम संभावना पाई गई.
शोधकर्ताओं ने उम्र, लिंग, शिक्षण स्तर आदि जैसे दूसरे कारकों को भी शामिल किया था जो नतीजों को प्रभावित कर सकते थे. जीन वेरिएंट धारक 65 से 69 की उम्र के बीच में अपनी सूंघने की क्षमता को कम होना महसूस करने लगते हैं. अध्ययन के पैमानों के अनुसार, उस उम्र में जीन धारक 3.2 गंधों का अनुभव कर सकते हैं, जबकि बिना जीन वाले लोग 3.9 गंधों को महसूस कर सकते हैं.
अध्ययन में पाया गया कि व्यक्ति किस तरह की गंध महसूस कर रहा इस मामले में जीन वेरिएंट धारक प्रतिभागियों ने किसी भी तरह का अंतर नहीं दिखाया, जब तक कि उनकी उम्र 75 से 79 के बीच की नहीं थी. एक बार उन्होनें अपने गंध पहचानने की क्षमता गंवाना शुरू कर दी, जीन धारक प्रतिभागियों में वह गैर जीन धारकों की तुलना में तेजी से कम होती पाई गई.
दोनों समूहों में विचारशीलता और याद्दाश्त संबंधी क्षमताएं अध्ययन के शुरु में एक सी रही पाई गई थीं. लेकिन जैसी की अपेक्षा थी. दूसरों की तुलना में जीन वैरिएंट धारकों में विचारशीलता की क्षमताओं में तेजी से गिरावट देखी गई गुडस्मिथ का कहना है कि इस तरह के संबंधों के बीच की प्रणाली की पहचान में न्यूरोडिजनेरेशन में सूंघने की क्षमता की भूमिका को समझने में मददगार हो सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)