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कांग्रेस ने मोदी सरकार पर लगाया 12 हजार करोड़ के लौह अयस्क निर्यात घोटाले का आरोप

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर अक्सर सवाल उठाती रही है। इसी क्रम में सार्वजनिक संस्थाओं के निजीकरण को लेकर भी प्रमुख विपक्षी पार्टी ने कहा है कि यह सब अपने दोस्तों की मदद के लिए सरकार कर रही है। कांग्रेस ने कहा है कि केंद्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पिछले छह सालों में बार-बार ऐसे उदाहरण दिए हैं, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार सिर्फ अपने कुछ चुनिंदा अमीर दोस्तों के लिए सत्ता में आई है। इस दौरान कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर 12,000 करोड़ के लौह अयस्क निर्यात घोटाले का भी आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने गुरुवार को पत्रकारवार्ता में केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि विकास के नाम पर मोदी जी भारत के हवाईअड्डे, समुद्री बंदरगाह, हमारे दूरसंचार और सार्वजनिक उपक्रमों, यहां तक कि रेलवे को भी अपने मित्रों को बेचने का काम किया है। पिछले छह साल में भाजपा ने अपने चुनिंदा अमीर व्यापारी मित्रों को लाभ पहुंचाने की मंशा से निजीकरण का काम किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार भूल जाती है कि देश के भीतर इन तमाम संस्थानों का निर्माण कुछ मुट्ठी भर पूंजीपतियों ने नहीं बल्कि एक-एक भारतवासी की मेहनत और खून-पसीने से हुआ है। उन्होंने कहा कि निजी लाभ की इस जुगत के बीच सरकार का 12 हजार करोड़ रुपये का लौह अयस्क निर्यात का घोटाला भी सामने आया है। पवन खेड़ा ने कहा कि 2014 से पहले लौह अयस्क (कच्चा लोहे) का निर्यात सिर्फ एमएमटीसी द्वारा ही किया जाता था। एमएमटीसी भी सिर्फ वह लौह अयस्क निर्यात कर सकती थी जिसमें 64 प्रतिशत लोहे की संकेन्द्रण से ऊपर के स्तर का लोहा बेचने से पहले उसे सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी। जबकि एमएमटीसी में 89 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार की है। लौह अयस्क के निर्यात पर 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क भी लगता था। यह इसलिए किया जाता था ताकि उम्दा स्तर का लोहा देश में ही रहे और देश के स्टील प्लांट के उपयोग में आए। कांग्रेस नेता ने कहा कि वर्ष 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो यह तमाम नियम कानून बदले गए। स्टील मंत्रालय ने सबसे पहले तो 64 प्रतिशत लौह संकेन्द्रण का नियम बदला और कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) को चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया और जापान में लौह अयस्क निर्यात की अनुमति दी गई। इसके अलावा मंत्रालय ने नीति में एक और परिवर्तन करते हुए यह घोषणा की कि लौह अयस्क पर तो 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क जारी रहेंगे लेकिन अगर यह लौह अयस्क छर्रों के रूप में निर्यात किया जाए तो उस पर कोई निर्यात शुल्क लागू नहीं होगा। इस तरह कई निजी कंपनियों ने छर्रों के माध्यम से देश का लौह अयस्क निर्यात करना शुरू किया, जिससे शुल्क के रूप में हजारों करोड़ रुपये की चोरी हुई। अनुमान यह है कि इन निजी कंपनियों ने 2014 से अब तक लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का लौह अयस्क निर्यात किया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार की गलत नीति से न सिर्फ देश का प्राकृतिक संसाधन लुटा बल्कि 12 हजार करोड़ रुपये का निर्यात शुल्क भी चोरी हुआ। विदेशी व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम 1992 के तहत इन कंपनियों पर लौह अयस्क छर्रों के गैर कानूनी निर्यात पर दो लाख करोड़ का जुर्माना बनता है। प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि उच्च गुणवत्ता के लौह अयस्क जिसमें 64 प्रतिशत से ज्यादा लोहे का संकेन्द्रण हो के निर्यात की अनुमति क्यों दे दी गई? वह कौन सी कंपनियां हैं, जिन्होंने 2014 से लेकर अब तक बिना अनुमति के लौह अयस्क का निर्यात किया? उनके नाम सार्वजनिक किए जाए। इसके अलावा, वर्ष 2014 से लेकर अब तक सरकार या किसी जांच एजेंसी ने लौह अयस्क के गैर कानूनी निर्यात को लेकर जांच की है? और आखिरी यह कि दो लाख करोड़ के घोटाले में देश के बेशकीमती प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट की नैतिक जिम्मेदारी कौन लेगा? उन्होंने कहा कि पारदर्शी सरकार का वादा करने वाले पीएम मोदी को देश की जनता को सब सच बताना चाहिए।

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