बिहार

बिहार ihar)में जातीय जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई

नई दिल्ली.बिहार (Bihar) में जातीय जनगणना पर रोक के खिलाफ दायर नीतीश कुमार सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. कोर्ट ने इस अर्जी पर सुनवाई के लिए दो सदस्यीय नई बेंच का गठन किया है, जिसमें जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल शामिल हैं.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई करने वाली पिछली बेंच में शामिल जस्टिस संजय करोल ने खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया. इसके बाद मामले को दोबारा चीफ जस्टिस के पास भेज दिया गया था ताकि नई बेंच का गठन किया जाए.

जस्टिस करोल ने सुनवाई से हटने की बताई वजह
जस्टिस करोल इससे पहले पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवाएं दे रहे थे. उन्हें 6 फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था. जस्टिस करोल ने बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई से हटने के फैसला करते हुए कहा कि ‘वह कुछ संबंधित मुकदमों में पक्षकार थे, जिन पर पहले हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी.’

दरअसल बिहार में राज्य सरकार द्वारा की जा रही जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने 4 मई को आदेश जारी करते हुए अंतरिम रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने इस संबंध में दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह जाति-आधारित गणना को तुरंत रोक दे और यह सुनिश्चित करे कि पहले से ही एकत्र किए गए डेटा को सुरक्षित रखा जाए और अंतिम आदेश पारित होने तक किसी के साथ साझा न किया जाए. हाईकोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 3 जुलाई की तारीख निर्धारित की है.

बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के पक्ष में दी ये दलीलें
वहीं हाईकोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बिहार सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि जातीय जनगणना पर रोक से पूरी कवायद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. याचिका में बिहार सरकार ने दलील दी है, ‘राज्य ने कुछ जिलों में जातिगत जनगणना का 80 फीसदी से अधिक सर्वे कार्य पूरा कर लिया है और 10 फीसदी से भी कम काम बचा हुआ है. पूरा तंत्र जमीनी स्तर पर काम कर रहा है. विवाद में अंतिम निर्णय आने तक इस अभ्यास को पूरा करने से कोई नुकसान नहीं होगा.’

राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि जाति आधारित डेटा का संग्रह अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक जनादेश है. संविधान का अनुच्छेद 15 कहता कि राज्य धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के भी आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं करेगा. वहीं, अनुच्छेद 16 कहता है कि राज्य सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय में नियोजन या नियुक्ति के संबंध में सभी नागरिकों के लिए समान अवसर उपलब्ध होंगे.

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