शिक्षा के उपयोग का तरीका सिखाता है उद्यमिता पाठ्यक्रम : मनीष सिसोदिया
-मनीष सिसोदिया और उद्यमी किरण मजूमदार शाॅ ने बच्चों से किया संवाद
नई दिल्ली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमारी कोशिश बच्चों को शिक्षा के उपयोग का तरीका सिखाना है। अब तक हमारी शिक्षाप्रणाली में एक ही मापदंड रहा है कि पढ़-लिखकर नौकरी हासिल करनी है। यह एकांगी नजरिया है जिसके कारण बच्चों में सीमित दृष्टिकोण पैदा होता है। सिसोदिया के अनुसार उद्यमिता पाठ्यक्रम के जरिए नवीं से बारहवीं तक के बच्चों के भीतर एक नई समझ पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट कुरिकुलम के तहत बच्चों से बातचीत में सिसोदिया ने यह बात कही। इस दौरान चर्चित उद्यमी किरण मजूमदार शाॅ ने बच्चों से किया संवाद किया। श्रीमती मजूमदार बायोकाॅन लिमिटेड की कार्यकारी चेयरपर्सन हैं तथा मेडिकल उद्योग में चर्चित उद्यमी हैं। इस एंटरप्रेन्योर इंट्रेक्शन का आयोजन एससीईआरटी, दिल्ली ने किया। लाॅकडाउन के बावजूद दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आॅनलाइन तरीके से उद्यमी संवाद कार्यक्रम जारी है। लाॅकडाउन के दौरान आज यह दसवां संवाद कार्यक्रम था।
श्री सिसोदिया ने कहा कि आज इस संवाद में दिल्ली के सरकारी स्कूलों के हजारों बच्चे शामिल हैं। हमारा सपना है कि इन्हीं बच्चों में से भविष्य में कई किरण मजूमदार शाॅ जैसे सफल उद्यमी निकलकर सामने आएं। सिसोदिया ने कहा कि आज से चालीस साल पहले शिक्षा हासिल करने के बाद महज नौकरी करने के बजाय मेडिकल सेक्टर में उद्यमिता का बड़ा सपना देखने वाली किरण मजूमदार शाॅ से बच्चों को काफी प्रेरणा मिलेगी। सिसोदिया ने कहा कि श्रीमती मजूमदार एक बिजनेस वुमेन ही नहीं बल्कि उन्होंने मेडिकल साइंस में भी महत्वपूर्ण काम किया है। अभी कोरोना संकट में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है।
श्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में उद्यमिता पाठ्यक्रम के पीछे दूरगामी सोच काम कर रही है। अब तक हमारी शिक्षाप्रणाली में महज नौकरी की मानसिकता पैदा की जाती थी। शिक्षा का मापदंड यह था कि इससे अच्छी नौकरी मिल जाए। लेकिन हमारी कोशिश है कि बच्चे नौकरी के लिए भी तैयार हों और अपना काम करने के लिए भी। सिसोदिया ने फिल्म थ्री इडियट का उदाहरण देकर शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण के फर्क पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आमिर खान ने रैंचो के रूप में शिक्षा के उपयोग का एक अलग रूप प्रस्तुत किया। जबकि चतुर नामक छात्र भी काफी प्रतिभावान होने के बावजूद एक दायरे में सीमित रह गया। सिसोदिया ने कहा कि हम ईएमसी के माध्यम से बच्चों के भीतर ज्ञान को एक नए नजरिये से देखने की समझ विकसित कर रहे हैं।
श्री सिसोदिया ने कहा कि हमें विज्ञान को महज डाॅक्टर या इंजीनियर बनने तक सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि इसे जीवन के तरीके के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सपने देखेंगे तो उद्यमिता भी आएगी। सिसोदिया ने कहा कि एक बार चर्चा के दौरान एक छात्रा बोली कि हम क्या सपने देखें, हमारे परिवार में तो बस हमारी पढ़ाई के बाद शादी कराने की बात होती है। सिसोदिया ने कहा कि जब आज 2020 में ऐसा माहौल है, तब आज से चालीस साल पहले किरण मजूमदार शाॅ ने उद्यमिता के क्षेत्र में कदम रखकर बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है।
चर्चित उद्यमी किरण मजूमदार शाॅ ने बच्चों से संवाद के दौरान अपने संघर्षों का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि बंगलौर विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक करने के बाद आस्ट्रेलिया में पढ़ाई की। वहां से लौटने के बाद भारत में 1978 में अपने गैरेज से अपनी कंपनी शुरू की। उनके पास पूंजी नहीं थी। लेकिन बैंकों ने कर्ज देने से मना कर दिया। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अंत में एक बैंक ने उनके प्रोजेक्ट का महत्व समझा और लोन दे दिया। सुश्री मजूमदार ने कहा कि इस उदाहरण से पता चलता है कि आपको कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। अगर आपको अपने उपर भरोसा हो और आप अपनी बात ठीक से रख सकते हो तो कोई न कोई आपकी बात अवश्य सुनेगा। उन्होंने कहा कि किसी उद्देश्य के साथ बिजनेस शुरू करोगे, तो सफलता अवश्य मिलेगी।
इस दौरान सुश्री मजूमदार ने बच्चों के सवालों का उत्तर भी दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों के साथ संवाद का यह अवसर अविस्मरणीय है। इसके लिए उन्होंने एससीईआरटी, दिल्ली तथा उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के प्रति आभार प्रकट किया।
किरण मजूमदार शाॅ ने बताए पांच सूत्र
1. खुद पर भरोसा रखो – मैंने मात्र 25 साल की उम्र में जब व्यवसाय प्रारंभ किया, तो पूंजी भी नहीं थी और अनुभव भी नहीं था। कर्ज लेने के लिए कुछ जमानत सुरक्षा भी नहीं थी। लेकिन मैंने खुद पर भरोसा रखा और हर चुनौती का मुकाबला करते हुए आगे बढ़ती गई।
2. महिलाओं को आगे बढ़ाने की संस्कृति विकसित करें – मेरा व्यवसाय बायो टेक्नाॅलाॅजी के क्षेत्र में रिसर्च पर आधारित है। इस क्षेत्र में महिला वैज्ञानिकों को आगे बढ़ाने का काफी अवसर है। आज हमारी टीम में महिला वैज्ञानिकों की संख्या लगभग तीस प्रतिशत है।
3. विज्ञान और चिकित्सा के जरिए दुनिया का भला संभव – मेरा मानना है कि बायो टेक्नाॅलोजी के क्षेत्र में नए प्रयोगों से आर्थिक विकास होने के साथ ही इससे लाखों मरीजों की जिंदगी भी बेहतर होती है।
4. असफलता क्षणिक चीज है – उत्सुकता से नवाचार पैदा होता है। हमरदम नई चीजों के बारे में सोचें और कभी इस बात से डरना नहीं चाहिए कि पहले कभी किसी ने ऐसा नहीं किया। अपनी असफलता से सीखें। नई चीजों को ज्ञान में बदल दें ताकि सबको इसका लाभ मिले।
5. अपने भीतर की आवाज सुनें – बचपन से ही अपने भीतर खुद को समझने की क्षमता पैदा करो। एक बेहतर मनुष्य बनने का अवसर कभी मत गंवाओ। इससे तुम एक स्वतंत्र और व्यापक मनुष्य के रूप में विकसित हो सकोगे, बड़े सपने देख सकोगे और दुनिया के लिए कोई यादगार काम कर सकोगे।