कभी नीतीश (Nitish )के थे ‘संकटमोचक’
पटना. पूर्व केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह अब औपचारिक रूप से बीजेपी में शामिल हो गए हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यालय में गुरुवार दोपहर 1:30 बजे बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आरसीपी सिंह को बीजेपी की सदस्यता दिलाई. इस दौरान आरसीपी सिंह ने कहा कि आज मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र, गृह मंत्री अमित शाह, जे बीजेपी अध्यक्ष पी नड्डा और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को धन्यवाद देता हूं. आरसीपी सिंह ने नीतीश (Nitish ) कुमार पर निशाना साधते हुये कहा कि नीतीश जी मुंबई में बड़ी-बड़ी बाते कर रहे हैं.
एक दिन ओडिशा फिर झारखण्ड और अब मुंबई में हैं. तीन दिन में तीन प्रदेश. उन्हें बिहार के विकास के लिए जनमत मिला था, लेकिन नीतीश बाबू क्या कर रहे हैं. नीतीश बाबू पीएम थे हैं और रहेंगे, P मतलब पलटी M मतलब मार.
आरसीपी सिंह लंबे वक्त से किसी पार्टी से नहीं जुड़े थे, पिछले साल जब उन्हें राज्यसभा में नहीं भेजा गया तो उन्हें मंत्रिमंडल से हटना पड़ा था. केंद्रीय मंत्रिमंडल से उनकी विदाई के बाद से ही वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ हमलावर रहे हैं. आरसीपी सिंह की नाराजगी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को लेकर भी रही है. पिछले अगस्त महीने में बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद जब नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग होने का फैसला किया. तब से ही आरसीपी सिंह की बीजेपी के साथ नजदीकियां काफी बढ़ गई थीं. आरसीपी सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके करीबी लोगों के खिलाफ लगातार आग उगला और पूरे बिहार के अलग-अलग जिलों में जाकर दौरा किया..
आरसीपी सिंह ने खासतौर से जेडीयू में अपने समर्थकों के बीच जाकर नीतीश कुमार के खिलाफ मुहिम चलाने की पूरी कोशिश की. उनकी कवायद थी कि किसी भी तरह नीतीश कुमार को एक्सपोज किया जाए और यह दिखाया जाए कि आरजेडी के साथ उनका मिलना केवल प्रधानमंत्री बनने की लालसा को लेकर है. किसी जमाने में नीतीश कुमार के दाहिना हाथ रहे आरसीपी सिंह लगातार उनके साथ जुड़े रहे हैं. पहले वे जदयू से राज्यसभा के दो बार सांसद बने और 1 साल के लिए केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे. इसके पहले जेडीयू के संगठन महासचिव के तौर पर पार्टी को मजबूत करने की कोशिश की उसके बाद पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बना दिया गया. लेकिन बतौर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो गए.
जेडीयू की तरफ से एकमात्र मंत्री के तौर पर आरसीपी सिंह की केंद्रीय मंत्रिमंडल में ताजपोशी हुई उसी वक्त से नीतीश कुमार से उनकी अनबन शुरू हो गई हालांकि आरसीपी सिंह बार-बार कहते रहे कि नीतीश कुमार की सहमति से ही वे मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं. लेकिन जेडीयू के नेताओं को यह नागवार गुजरा और अंत में उन्हें पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटना पड़ा, फिर, बाद में केंद्रीय मंत्रिमंडल से भी छुट्टी हो गई. क्योंकि उन्हें राज्यसभा में फिर से जगह नहीं दी गई हालांकि चर्चा इस बात को लेकर भी थी कि आरसीपी सिंह अलग पार्टी भी बना सकते हैं. जो पिछले कई महीनों से चल रही थी.लेकिन अंत में बीजेपी में शामिल होने का ही फैसला किया गया.
ऐसी उम्मीद की जा रही है अगले लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के जिले जो कि आरसीपी सिंह का भी गृह ज़िला है नालंदा वहां से उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट दिया जा सकता है. आरसीपी सिंह खुद कुर्मी समाज से आते हैं जिस समाज से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं. लिहाजा बीजेपी को लगता है कि नीतीश कुमार के सामाजिक समीकरण में सेंधमारी की कोशिश सफल हो पाएगी. दूसरी तरफ बीजेपी हाल ही में जेडीयू से उपेंद्र कुशवाहा की बगावत के बाद उन्हें एनडीए में लाने की कोशिश कर रही है. सम्राट चौधरी को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है ऐसे में सम्राट चौधरी और उपेंद्र कुशवाहा के बहाने बीजेपी कुश समीकरण को भी साथ में लेने में लगी है. पार्टी आलाकमान की पूरी कोशिश है कि नीतीश कुमार के लव-कुश समीकरण को पूरी तरह से ध्वस्त किया जाए और इसके लिए सम्राट चौधरी, उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह बेहतर विकल्प हो सकते हैं.