दिल्ली

सेम सेक्स ( same sex )मैरिज पर बनेगी बात?

नई दिल्ली. भारत में सेम सेक्स ( same sex ) मैरिज की कानूनी मान्यता पर वर्तमान में चर्चा की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट में आज समलैंगिक विवाह के मसले पर सुनवाई की जा रही है. इम मामले पर बड़ी खबर यह है कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह सेम सेक्स कपल्‍स को सोशल बेनेफिट्स देने पर विचार करने के लिए समिति बनाने को तैयार है. यह कमेटी कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्‍यक्षता में बनेगी जो इस पर विचार करेगी कि अगर सेम-सेक्‍स कपल्‍स की शादी को कानूनी मान्यता न मिले तो उन्हें कौन-कौन से सामाजिक फायदे उपलब्‍ध कराए जा सकते हैं.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने SC को अवगत कराया कि समलैंगिक जोड़े के सामने आने वाले मुद्दों को देखने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा. एसजी मेहता का कहना है कि याचिकाकर्ता सुझाव दे सकते हैं ताकि समिति इस पर ध्यान दे सके. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 3 मई तक संभावित सामाजिक लाभों पर जवाब देने को कहा था.

सॉलिसिटर जनरल ने SC से कहा, सरकार सुझाव को लेकर सकारात्मक
इससे पहले 27 अप्रैल को SC ने केंद्र को सामाजिक लाभों पर अपनी प्रतिक्रिया के साथ 3 मई को वापस आने के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि समलैंगिक जोड़ों को उनकी वैवाहिक स्थिति की कानूनी मान्यता के बिना क्या सामाजिक लाभ दिए जा सकते हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि समलैंगिक जोड़ों की चिंताओं को दूर करने के लिए प्रशासनिक कदमों की खोज के सुझाव के बारे में केंद्र सरकार सकारात्मक है.

हम तय करेंगे मान्यता का मुद्दा- चंद्रचूड़
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता का मुद्दा हम तय करेंगे. SC ने आगे कहा कि संविधान पीठ ये तय करेगी कि सेम सेक्स मैरिज को मान्यता दी जा सकती है या नहीं. वहीं CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘कुछ ना मिले इससे कुछ पाना उपलब्धि होगी. न्यायालय एक साथ रहने के अधिकार की स्वीकृति सुनिश्चित कर सकता है. ऐसी स्थिति नहीं चाहते जहां कुछ भी हाथ में न हो.’ साथ ही जस्टिस एस रवींद्र भट ने याचिकाकर्ताओं को याद दिलाया कि अमेरिका के कानून में बदलाव में आधी सदी लग गई.

संविधान पीठ में है मामला
मालूम हो कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल, एस रवींद्र भट, पीएस नरसिम्हा और हेमा कोहली की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ समलैंगिक विवाहों के लिए कानूनी मान्यता की मांग करने वाली दलीलों के एक बैच पर सुनवाई कर रही है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार से सवाल किया था कि क्या वह समलैंगिक जोड़ों को बिना शादी की मान्यता दिए, सोशल बेनिफिट देने के लिए तैयार है.

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