कभी बारूद की गंध और बुलेट (bullet)की गूंज

कटिहार :कहते हैं सोच अगर सकारात्मक हो और इसको लेकर अगर सम्मिलित प्रयास किए जाएं तो कमाल हो सकता है. बुरे हालात बदल सकते हैं और बंजर जमीन भी लहलहा सकती है. ऐसी ही एक खूबसूरत कहानी कटिहार से सामने आई है. कभी बारूद की गंध और बंदूक (bullet) की गरज के कारण चर्चा में रहने वाला इलाका आज फूलों की खेती से गुलजार हो उठा है. तस्वीरों के जरिये पेश है बदलाव की ये खूबसूरत कहानी.
जिस इलाके की पहचान कभी बारूद की गंध और बुलेट की गूंज के कारण हुआ करती थी. आज वहां पुलिस जवानों की मेहनत से 10 एकड़ से अधिक जमीन पर सूर्यमुखी फूल की खेती लहलहा रही है. कटिहार बीएमपी 7 के अधिकारी और प्रशिक्षु सिपाहियों की फायरिंग जोन के लिए पहचान रखने वाले चांदमारी पहाड़ से जुड़े इलाके की बदलाव की खूबसूरत तस्वीर पेश करती है.
कटिहार बीएमपी 7 के लॉन्ग रेंज फायरिंग बट चांदमारी पहाड़ की वर्तमान तस्वीर बेहद मनोरम है. लगभग 20 साल पहले इस फायरिंग रेंज से कई किलोमीटर दूर एक आदमी को गोली लगने की शिकायत के बाद यहां फायरिंग बंद हो गयी थी.इसके बाद धीरे-धीरे यह पूरा इलाका जंगल में तब्दील हो गया था, मगर अब इस इलाके में लहराते सूर्यमुखी की खेती इलाके की फिजा को खूबसूरत बना दिया है.
बीएमपी-7 कमांडेंट दिलनवाज अहमद के प्रयास से इस पूरे इलाके को सफाई की गयी है और फिर चारों तरफ एक हजार से अधिक वृक्षारोपण किया गया है. इसके अतिरिक्त धीरे-धीरे अतिक्रमण के शिकार हो रहे पूरे इलाके की चहारदीवारी करवा कर इलाके को अतिक्रमण मुक्त करवाया गया है. इसके साथ ही पिछले 3 महीने से प्रशिक्षु जवानों की मेहनत से लगभग 10 एकड़ से अधिक जमीन पर सूर्यमुखी फूल की खेती की जा रही है.
सूर्यमुखी फूलों से लहलहाते खेत से इलाके की तस्वीर बेहद खूबसूरत हो गई है. आसपास के इलाके के लोग दूर से ही इस नजारे को देखकर मोहित हो जाते हैं. बीएमपी कमांडेंट दिलनवाज अहमद के निर्देश पर इस पूरे इलाके की देखरेख की विशेष जिम्मेदारी संभालने वाले हवलदार मनोकामना सिंह कहते हैं कि लगातार प्रशिक्षु जवानों की मेहनत से इलाके की नजारा ही बदल गया है. अब यहां एक खूबसूरत माहौल है.
जहां तक इन फूलों के इस्तेमाल का बात है तो वरीय अधिकारी इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विभाग के संपर्क में है. इन फूलों को बेचकर मिलने वाली राशि को जवानों की वेलफेयर के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
प्रशिक्षु जवान विनीत और मनीष कहते हैं उन लोगों को इस काम में मेहनत करके इतना सुखद परिणाम आने के बाद बहुत अच्छा अनुभव रहा है. वे कहते हैं समाज की सुरक्षा के लिए जवान बंदूक थामने के साथ-साथ खेत में काम करके इस तरह की खूबसूरत बदलाव भी ला सकते हैं.
निश्चित तौर पर कटिहार की तस्वीर ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा को बुलंद कर रहा है. ये तस्वीरें इसलिए भी खास हैं क्योंकि यहां जवानों की मेहनत से ही खेत में इस तरह का बड़ा बदलाव आया है.