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बिहार विधानसभा चुनाव, बीजेपी के लिए जेडीयू को खत्म करेंगे नीतीश

पटना बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए भले ही जीत का दावा कर रहा हो, लेकिन गठबंधन दलों के बीच सहमति अब भी नहीं बन पाई है. एलजेपी लगातार जेडीयू और बीजेपी को आंख दिखा रहा है. वहीं बीजेपी भी अकड़ में है. दोनों दलों के रुठने से जेडीयू मझदार में फंस गई है. इसीलिए नीतीश कुमार अब बड़ी कुर्बानी देने को तैयार हो गए हैं. ताकि कुर्सी पर कोई आंच ना आए. तो चुनाव में कौन होगा बड़ा भाई, एनडीए में कैसे बैठेगा सीटों का समीकरण. बिहार एनडीए में सीटों का समीकरण क्या होगा,जेडीयू कितनी सीटों पर लड़ेगी,बीजेपी किस पर सहमत होगी3इन सवालों के जवाब पर अब तक सस्पेंस बरकरार है. लेकिन सूत्रों के हवाले से सीटों का जो समीकरण सामने आ रहा है. वो नीतीश कुमार को बीजेपी के सामने बौना बना रहा है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी और जेडीयू के बीच सीट बंटवारे को लेकर डील सेट हो गई है. कहा जा रहा है कि नीतीश 50.50 फॉर्मूले के तहत सीट बंटवारे को राजी हो गए हैं. नीतीश कुमार पिछले कुछ दिनों से जिद पर अड़े थे कि जेडीयू बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, मगर आखिरकार उन्हें अपनी जिद छोडऩी पड़ी. तय फॉर्मूले के मुताबिक जेडीयू 122 सीटों पर और भारतीय जनता पार्टी 121 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जेडीयू बीजेपी की कई परंपरागत सीटों पर भी दावेदारी ठोक रही थी, मगर अब उन्होंने यह मांग भी छोड़ दी है,जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को नीतीश कुमार की पार्टी अपने कोटे से सीट देगी जबकि एलजेपी को बीजेपी अपने कोटे से सीट देगी,बताया जा रहा है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच आखिरी दौर की बातचीत शनिवार दोपहर को पटना में हुई थी. शनिवार को जेडीयू के 4 बड़े नेता ललन सिंह, आरसीपी सिंह, विजय चौधरी और बिजेंदर यादव ने देवेंद्र फडणवीस, भूपेंद्र यादव के साथ 4 घंटे तक लंबी मैराथन बैठक की थी. इस मंथन के बाद ही सीटों के बंटवारे की खबर आ रही है. जिसने नीतीश कुमार को बौना साबित कर दिया है. क्योंकि बड़े भाई की भूमिका अदा करने का दावा करने वाले नीतीश कुमार को बीजेपी के आगे घुटने टेकने पड़े हैं, इसकी वजह कुर्सी खोने का डर है,दरअसल अगर जेडीयू बीजेपी के सामने नहीं झुकती, तो सूबे में नई समीकरण जन्म ले सकते हैं. अब तो एलजेपी भी जेडीयू का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ जाने की ताल ठोक चुकी है, जिससे नीतीश कुमार अकेले पड़ सकते हैं,और बिहार का इतिहास बताता है कि अकेले दल को जनता ने कभी जीत का सेहरा नहीं पहनाया है,यही वजह है कि नीतीश बीजेपी की जी हजूरी में जुटे हुए हैं .नीतीश को भरोसा है कि बड़े भाई के पद की कुर्बानी देकर वो कुर्सी को अपने करीब रख सकेंगे. लेकिन उनके इस कदम से पार्टी को बड़ा नुकसान होगा3क्योंकि बीजेपी हमेशा से ही क्षेत्रीय दलों की उंगली पकड़ कर खुद को मजबूत बनाने की कोशिश करती रही है. यानी नीतीश का फैसला जेडीयू को खत्म कर सकता है, कहीं ऐसा ना हो कि जैसे महाराष्ट्र में बीजेपी ने शिवसेना पर चढऩे की कोशिश की, वैसे ही बिहार में वो जेडीयू को भी तोड़ सकती है. खैर ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि नीतीश का फैसला जेडीयू पर क्या असर डालेगा।

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