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इन दिनों पाकिस्तान बेहद बुरे आर्थिक (economic )संकट में फंसा

इस्लामाबाद. पाकिस्तानी के आर्थिक (economic ) हालात किस स्थिति में पहुंच गए है ये बात किसी से छिपी नहीं है. पाकिस्तानी जनता किसी भी तरह से मुल्क के बद से बदतर होते हालातों में गुजारा कर रहे हैं. जहां एक ओर खाने-पीने की चीजें भी आसानी से मिलना भी मुश्किल है.वहीं देश की राजनीतिक हालत भी गर्त में ृ जा रहे हैं. ऐसे में अब ये भी खबर आ रही है कि पाकिस्तान में मार्शल लॉ लग सकता है. दरअसल कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान की सरकार में विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने इसे लेकर आशंका जाहिर की थी.

मार्शल लॉ क्या होता है
मार्शल लॉ लागू होने पर देश और वहां की पुलिस और कानून व्यवस्था का नियंत्रण पूरी तरह से सेना के हाथों में दे दिया जाता है. जरूरी नहीं कि ये पूरे देश में लागू हो. ये देश के किसी हिस्से में भी हो लागू हो सकता है. ये कानून लागू होने से नागरिकों के अधिकार सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. इसके अलावा मुख्यतौर पर राजनीतिक दलों की सभाओं को रोक दिया जाता है. इसके अलावा नेताओं की गिरफ्तारी की भी आशंका हो जाती हैं.

इसके साथ ही मार्शल लॉ में सेना कभी भी किसी को जेल में डाल सकती है. सेना की कोर्ट में जज किसी को भी नोटिस देकर बुला सकता है. जो नागरिक इसका विरोध करते हैं उन्हें मिलिट्री कोर्ट में पेश किया जाता है, उन पर मुकदमा भी चलाया जाता है.

मार्शल लॉ का इतिहास
पाकिस्तान में काफी लंबे समय से मार्शल लॉ लागू होता रहा है. अयूब खान के समय में जब पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थरिता, और सांप्रदायिक तनाव बढ़ने लगा तो सत्ता फौज ने अपने हाथों में ले ली. पाकिस्तान में पहली बार 7 अक्टूबर 1958 को सेना ने कमान संभाली.

पाकिस्तान में लागू हुए मार्शल लॉ के असफल प्रयास
पाकिस्तान के इतिहास में 1951 में तख्तापलट की कई कोशिशें हुईं जो कि असफल रहीं. 1951 में मेजर जनरल अकबर खान की अगुवाई में रावलपिंडी की साजिश थी, जिसमें पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की सरकार के खिलाफ वामपंथी कार्यकर्ता और सहानुभूति रखने वाले अधिकारी शामिल थे.

इसके बाद 1980 में मेजर जनरल तजम्मुल हुसैन मलिक ने 23 मार्च, 1980 को पाकिस्तान दिवस पर जिया-उल-हक की हत्या की साजिश का पर्दाफाश किया और उसे विफल कर दिया.

1995 में, इस्लामिक कट्टरपंथियों के समर्थन से मेजर जनरल जहीरुल इस्लाम अब्बासी के नेतृत्व वाली बेनजीर भुट्टो की सरकार के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश विफल रही.

पाकिस्तान में पहले कब लगा है मार्शल लॉ
पाकिस्तान में साल 1958 में हुए युद्ध के दौरान पहली बार मार्शल लॉ लगाया गया था, जोकि 7 अक्टूबर को वहां के तत्कालिक राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्ज़ा ने लगाया गया था. इसके चार साल बाद यानी साल 1962 में संविधान का एक नया दस्तावेज लागू किया गया था. लेकिन अयूब खान के पाकिस्तान के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने एक अहम फैसला लिया. उन्होंने सन 1969 में, 1962 में लागू किये गये संविधान को रद्द कर दिया और वहां फिर से मार्शल लॉ घोषित कर दिया.

इसके बाद यहां जुल्फिकार अली भुट्टो ने तीसरी बार मार्शल लॉ लगाया जोकि बांग्लादेश लिबरेशन युद्ध के बाद लगाया गया था. फिर 5 जुलाई साल 1977 को जनरल मुहम्मद जिया – उल – हक द्वारा लगाया गया था. इसके बाद 12 अक्टूबर, 1999 को प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार भंग कर दी गई थी, तब भी सेना ने एक बार फिर नियंत्रण संभाला. लेकिन यह मार्शल लॉ नहीं था.

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