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मोदी सरनेम मामलाः कल सूरत जाएंगे राहुल गांधी(Rahul Gandhi )

नई दिल्ली. मोदी सरनेम को लेकर मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi )n इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे. राहुल गांधी सोमवार को सूरत सेशन कोर्ट में फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर कर सकते हैं. सूरत कोर्ट द्वारा हाल ही में दोषी ठहराए जाने के बाद राहुल गांधी की सदस्यता चली गई है. कोर्ट ने राहुल को 2 साल की जेल और 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी. कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने उनकी संसद की सदस्यता को रद्द कर दिया है.

बीते 2019 के लोकसभा चुनाव पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान रहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर विवादित टिप्पणी की थी. इस बयान के खिलाफ सूरत में मानहानि केस दर्ज हुआ था. पार्टी सूत्रों के मुताबिक सेशन कोर्ट में अपील के मौके पर राहुल मौजूद रहना चाहते हैं. गुजरात सहित अन्य बड़े नेताओं को पहुंचने के लिए कह दिया गया है. पार्टी सूत्रों का कहना है की हायर कोर्ट में अपील सहित अन्य विकल्पों पर भी फैसला हो सकता है.

सजा का एलान होने के बाद राहुल गांधी ने ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा कि मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है. सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन है. कोर्ट के फैसले के प्रति कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और महासचिव प्रियंका गाधी वाड्रा सहित पार्टी के कई नेताओं ने नाराजागी जाहिर की थी.

साल 2021 के अक्टूबर में राहुल गांधी बयान दर्ज कराने अदालत पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपने आप को बेकसूर बताया था. राहुल गांधी इस मामले की सुनवाई में तीन बार पेश हो चुके थे. राहुल गांधी की सदस्यता चले जाने के बाद देशभर में कांग्रेस पार्टी ने एक दिन संकल्प सत्याग्रह किया था. वहीं राहुल गांधी को आवास खाली करने का भी नोटिस जारी किया जा चुका है. ने एक नई ऊंचाई हासिल करते हुए रीयूजेबल लॉन्‍च वीइकल के तहत रविवार को सफलतापूर्वक परीक्षण किया. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि यह परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग में वैमानिकी परीक्षण रेंज (एटीआर) में किया गया. एक बयान में कहा गया है कि ‘इसी के साथ इसरो ने प्रक्षेपण यान की स्वायत्त लैंडिंग के क्षेत्र में सफलता हासिल कर ली.’

इसरो ने आगे कहा, ‘एलईएक्स के साथ ही पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण के क्षेत्र में भारत अपने लक्ष्य के एक और कदम करीब पहुंच गया.’ दुनिया में पहली बार, एक ‘विंग बॉडी’ को एक हेलीकॉप्टर की मदद से 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाया जाएगा और रनवे पर स्वायत्त लैंडिंग के लिए छोड़ा गया. भारतीय वायुसेना के चिनुक हेलीकॉप्टर के जरिए आरएलवी ने भारतीय समयानुसार सुबह सात बजकर 10 मिनट पर (औसत समुद्र तल से) 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरी.
तय मापदंडों तक पहुंचने के बाद मिशन प्रबंधन कंप्यूटर की कमान के आधार पर आरएलवी को बीच हवा में 4.6 किलोमीटर की क्षैतिज दूरी से छोड़ा गया. स्थिति, वेग, ऊंचाई आदि समेत 10 मापदंडों पर नजर रखी गई और इनके पूरा होने पर आरएलवी को छोड़ा गया. आरएलवी को छोड़े जाने की प्रक्रिया स्वायत्त थी
आरएलवी ने एकीकृत नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करते हुए नीचे उतरना शुरू किया और उसने भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न सात बजकर 40 मिनट पर स्वायत्त तरीके से लैंडिंग की. स्वायत्त लैंडिंग की प्रक्रिया अंतरिक्ष पुन: प्रवेश यान की लैंडिंग संबंधी सटीक शर्तों के तहत की गई.

बयान में आगे कहा गया है कि ‘आरएलवी एलईएक्स के लिए विकसित समकालीन प्रौद्योगिकियों के अनुकूल ढलना इसरो के अन्य प्रक्षेपण यानों को भी अधिक किफायती बनाता है.’ इसरो ने इससे पहले मई 2016 में एचईएक्स (हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग) मिशन के तहत आरएलवी-टीडी यान की पुन: प्रवेश की क्षमता का सफल परीक्षण किया था, जो पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

इसरो के अलावा भारतीय वायुसेना, सेना उड़न योग्यता और प्रमाणीकरण केंद्र, वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान और हवाई डिलीवरी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान ने इस परीक्षण में अहम योगदान दिया. अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ उन लोगों में शामिल थे, जो इस परीक्षण के गवाह बने.

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