नोट छापने से 6 गुना महंगा है सिक्का ढालना(Coin minting )

नई दिल्ली. जेब में रखे सिक्कों और नोट को तो आप धड़ल्ले से खर्च करते हैं, लेकिन कभी सोचा है कि इसे छापने में कितना खर्चा आता होगा. रिजर्व बैंक सिक्कों और नोट को छापने का काम करता है और उसी के दावों को मानें तो नोट की छपाई से कहीं ज्यादा खर्चा सिक्कों की ढलाई पर आता है. बावजूद इसके रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ताबड़तोड़ सिक्कों की छपाई करता है. आखिर इसके पीछे की वजह क्या है और इससे आम आदमी को क्या फायदा मिलता है. अगर इसमें कोई फंडा है तो बड़े नोट के सिक्के (Coin minting ) क्यों नहीं छापे जाते. आपके इन सभी सवालों का जवाब इस खबर में मिल जाएगा.
सबसे पहले बात करते सबसे छोटे सिक्के यानी 1 रुपये की. रिजर्व बैंक ने सूचना के अधिकार में पूछे एक सवाल के जवाब में खुद बताया है कि 1 रुपये का सिक्का बनाने की लागत उसके मूल्य से कहीं ज्यादा है. 1 रुपये का सिक्का ढालने में करीब 1.1 रुपये का खर्च आता है, जबकि 2 रुपये का सिक्का ढालने में 1.28 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसी तरह 5 रुपये का सिक्का 3.69 रुपये में ढाला जाता है तो 10 रुपये का सिक्का बनाने की लागत 5.54 रुपये है.
अब दोनों की तुलना करें तो…
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से जारी एक नोटिफिकेशन के मुताबिक, वित्तवर्ष 2021-22 में आरबीआई को 10 रुपये के एक हजार नोट छापने पर 960 रुपये खर्च करने पड़े थे. इस हिसाब से देखा जाए तो एक नोट की छपाई का खर्च 96 पैसे आया. वहीं, 10 रुपये का एक सिक्का ढालने में 5.54 रुपये की लागत आती है. इसका मतलब हुआ कि नोट के मुकाबले सिक्के पर आया खर्च करीब 6 गुना ज्यादा है.
फिर भी क्यों सिक्के ढालता है आरबीआई
सिक्का और नोट दोनों की छपाई का खर्च देखकर तो आपको लगता होगा कि सिक्का बनाना तो घाटे का सौदा है, फिर भी आरबीआई क्यों हर साल करोड़ों सिक्के बनाता है. दरअसल, खर्च ज्यादा होने के बावजूद सिक्के ढालना नोट बनाने से कई मायनों में फायदेमंद है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि नोट छापने में कई तरह के सिक्योरिटी फीचर्स का इस्तेमाल करना पड़ता है. कागज के नोट के सुरक्षित बनाने के लिए 15 से 17 तरह के सिक्योरिटी फीचर्स का इस्तेमाल करना पड़ता है. इतना ही नहीं कागज के नोट की लाइफ भी काफी कम होती है. इसके मुकाबले सिक्के सालों साल चलते रहते हैं और एक समय ऐसा आता है जब नोट छापना सिक्के के मुकाबले महंगा लगने लगता है.
लेकिन बड़े नोट के सिक्के नहीं ढालता
अगर समय के साथ सिक्के ढालना नोट छापने से सस्ता दिखने लगता है तो रिजर्व बैंक बड़े नोटों के सिक्के क्यों छापता. इसका जवाब भी रिजर्व बैंक की ओर से जारी एक रिपोर्ट में ही मिल जाता है. दरअसल, नोट जितनी बड़ी होती जाती है, उसे छापने का खर्च उतना ही घटता जाता है. आरबीआई के अनुसार, 20 रुपये का एक नोट छापने में 95 पैसे खर्च होते हैं, जबकि 50 रुपये का एक नोट 1.13 रुपये में छप जाता है. 100 रुपये का एक नोट 1.77 रुपये में, जबकि 200 का नोट 2.37 रुपये में और 500 का नोट 2.29 रुपये छप जाता है. अगर इन नोट के सिक्के ढाले जाएं तो यह काफी खर्चीला होने के साथ ग्राहक के लिए भी उसे यूज करना और रखना काफी मुश्किल होगा.