उत्तर प्रदेश

प्रिंसिपल की बेटी बनी आईएएस (became IAS)

नई दिल्ली हर साल लाखों अभ्यर्थी यूपीएससी परीक्षा देते हैं. इनमें से कुछ सफल होकर अपना, अपने परिवार और शहर का नाम रोशन करते हैं. आईएएस बनने का सपना देखना आसान है लेकिन उस कठिन राह पर चलकर उसे पूरा करना बहुत मुश्किल है. लेकिन उत्तर प्रदेश के     (became IAS) कानपुर की रहने वाली दिव्या मिश्रा ने आईएएस बनने के बचपन के सपने को पूरा किया है.

आईएएस दिव्या मिश्रा बचपन से पढ़ाई में काफी होशियार थीं. उनके घर पर भी पढ़ाई-लिखाई का काफी माहौल रहा है. इसी वजह से उन्होंने न सिर्फ आईएएस बनने का सपना देखा, बल्कि उसे पूरा करने के लिए मेहनत से डटी भी रहीं. आखिरकार यूपीएससी परीक्षा के तीसरे प्रयास में दिव्या मिश्रा सफल हो भी गईं. पढ़िए उनकी सक्सेस स्टोरीनवोदय स्कूल से हुई पढ़ाई
उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित नौबस्ता के हनुमंत विहार की रहने वाली दिव्या मिश्रा के पिता दिनेश मिश्रा नवोदय विद्यालय में प्रिंसिपल हैं . उनकी मां मंजू मिश्रा एक होममेकर हैं. दिव्या के छोटे भाई दिव्यांशु मिश्रा सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात हैं. दिव्या ने नवोदय विद्यालय, उन्नाव से अपनी पढ़ाई पूरी की है.शुरू से पढ़ाई में गजब होशियार
दिव्या मिश्रा ने 10वीं बोर्ड परीक्षा में 96.6 फीसदी अंकों के साथ स्टेट टॉप किया था. इसके बाद 12वीं में 92.4 फीसदी अंक हासिल किए थे. उसके बाद दिव्या ने AKTU से B.Tech की पढ़ाई पूरी कर ब्रॉन्ज मेडल भी जीता था. उन्होंने PhD भी किया है. दिव्या ने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी
तीसरे प्रयास में बनीं आईएएस
दिव्या मिश्रा बचपन से आईएएस बनना चाहती थीं. लेकिन उनके लिए यह सफर थोड़ा मुश्किल रहा. यूपीएससी परीक्षा के पहले प्रयास में वह सिर्फ 4 अंकों से चूक गई थीं. दूसरे प्रयास में 312वीं रैंक के साथ उन्हें रेलवे विभाग में अधिकारी बनने का मौका मिला था. इसलिए उन्होंने एक बार और कोशिश की. फिर 2020 में 28वीं रैंक के साथ दिव्या मिश्रा आईएएस बन गईं
सेना पर अटैक ने मजबूत किया इरादा
आईएएस दिव्या मिश्रा जब यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही थीं, उसी दौरान उनके छोटे भाई का आर्मी में लेफ्टिनेंट के पद पर सेलेक्शन हो गया था. इससे उन पर नौकरी का दबाव बढ़ने लग गया था पर उन्होंने किसी चीज को खुद पर हावी नहीं होने दिया. उसी बीच उरी अटैक ने उनके दिल पर चोट की और वे डबल मेहनत के साथ तैयारी करने लगी थीं.

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