कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan )में होगा कैबिनेट विस्तार?
इस्लामाबाद. आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan ) में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपने कैबिनेट को बड़ा करने जा रहे हैं जिससे अर्थवस्था पर अधिक बोझ पड़ेगा.प्रधानमंत्री के इस कदम की विपक्ष आलोचना कर रहा है. बिना किसी स्पष्ट मानदंड के अपने मंत्रिमंडल में पीएम ? के लिए कई विशेष सहायकों को शामिल करने के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के फैसले की आलोचना हुई है. विपक्ष का मानना है कि इस तरह का निर्णय एक “असंवेदनशील” कदम है जब देश आर्थिक संकट में है.
पूर्व सीनेटर और वकील मुस्तफा नवाज खोखर और पूर्व राज्य मंत्री और पाकिस्तान निवेश बोर्ड (बीओएल) के अध्यक्ष हारून शरीफ सहित अन्य नेताओं ने भी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के कैबिनेट में कटौती करने की बात कही है. सरकार के संघीय मंत्रिमंडल में 85 सदस्य होने पर हैरानी व्यक्त करते हुए खोखर ने कहा कि सरकार ने ऐसे समय में कई और एसएपीएम नियुक्त करके वास्तविक असंवेदनशीलता दिखाई है जब देश अपने इतिहास में सबसे खराब वित्तीय संकटों में से एक से गुजर रहा है.
वहीं सत्ताधारी सरकार का दावा है कि नवनियुक्त एसएपीएम से सरकार पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा. खोखर ने कहा कि सरकार नई नियुक्तियों के बारे में कह सकती है कि राजकोष पर कोई बोझ नहीं है, लेकिन दिन के अंत में उन्हें कार्यालय और इसके साथ आने वाली अन्य सुविधांए दी जाएगी. उन्होंने कहा, “यह दिखावा सिर्फ आंखों में धूल झोंकने वाला है.” साथ ही बीओएल के पूर्व अध्यक्ष हारून शरीफ ने बताया कि जब एक एसएपीएम को राज्य मंत्री का दर्जा मिलता है, तो वह घर या घर भत्ता, कार, ईंधन, नौकर आदि जैसे सभी भत्तों और विशेषाधिकारों का हकदार होता है. इसलिए, भले ही वेतन आहरित नहीं किया जाता है, इन पदों पर सरकार को भारी लागत आती है.
आपको बता दें कि पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 92 में कहा गया है कि संघीय कैबिनेट में मंत्रियों और राज्य मंत्रियों की संख्या संसद की कुल सदस्यता के 11 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. मंत्रियों की मौजूदा कैबिनेट संख्या में 34 संघीय मंत्री, सात राज्य मंत्री, चार सलाहकार और 40 एसएपीएम शामिल हैं. इन आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तानी सरकार कुल 49 मंत्री बना सकती है.