चीन की अब खैर नहीं! एलएसी के पास न्योमा एयरबेस (Nyoma airbase )को अपग्रेड करेगा भारत

नई दिल्ली. सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचों के विकास में केंद्र सरकार द्वारा तेजी से काम किया जा रहा है. इसके लिए सड़क, पुल सहित सामरिक रूप से जरूरी सभी तरह के विकास को तेज गति से आगे बढ़ाया जा रहा है. इसी कड़ी में लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित न्योमा एयरफिल्ड को फाइटर जेट्स के लिए तैयार किया जा रहा है. भारत अब पूर्वी लद्दाख में महत्वपूर्ण न्योमा (Nyoma airbase ) एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) को अपग्रेड करने की तैयारी में जुटा हुआ है ताकि चीन को टक्कर दी जा सके.
बता दें कि चीन करीब 33 महीने से जारी टकराव के दौरान सभी सीमावर्ती सैन्य ठिकानों को मजबूत करने में जुटा हुआ है. न्योमा एयरबेस को 230 करोड़ रुपये की लागत से अपग्रेड किया जा रहा है, जिसमें 2.7 किलोमीटर रनवे को बढ़ाया जाएगा. टाइम्स ऑफ इंडिया ने रक्षा अधिकारियों के हवाले से बताया कि न्योमा एयरफिल्ड पर मई के महीने से काम शुरू किया जाएगा. न्योमा एएलजी 13,400 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित है, और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 50 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है, इसलिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को यह काम सौंपा गया है.
एयरबेस का अपग्रेडेड एडवांस लैंडिंग दो साल में लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए तैयार हो जाएगा. एक अधिकारी ने कहा कि 2025 तक न्योमा एयरबसे को अपग्रेड कर दिया जाएगा. बता दें कि न्योमा पहले से ही भारतीय वायुसेना और सेना के लिए एक मुख्य केंद्र रहा है, जो लगभग 190 किलोमीटर दूर लेह हवाई क्षेत्र और एलएसी के बीच महत्वपूर्ण अंतर को खत्म करता है. अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में कई चीनी घुसपैठ के बाद से सैनिकों और भारी हथियार प्रणालियों जैसे टैंकों की अग्रिम तैनाती के लिए इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया.
न्योमा एयरबेस के पूर्ण रूप से तैयार होने के बाद उसपर कई बड़े फाइटर जेट उतारे जा सकते हैं. वर्तमान समय में न्योमा एयरबेस के न्योमा उन्नत लैंडिंग से अपाचे हेलिकॉप्टर, चिनून हैवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर, एमआई-17 हेलिकॉप्टर और सी-130 दे स्पेशल ऑपरेशंस एयरक्राफ्ट का संचालन होता है. न्योमा एयर बेस का इस्तेमाल सैनिकों और सैन्य सामग्री की आपूर्ति के लिए किया गया है
इस एयरबेस के अपग्रेड होने के बाद यहां से तेजस, मिराज-2000 जैसे फाइटर जेट्स उड़ान भर सकेंगे, जिसमें न्योमा में हवाई संचालन क्षमता बढ़ेगी. इसके अलावा न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड और लेह के बीच 180 किलोमीटर की दूरी घटने से सैन्य सामान पहुंचाने में आसानी हो जाएगी.