चीन (f China!)के एक फैसले से पूरी दुनिया खतरे में!
बीजिंग. तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों के बीच चीन (f China!) ने यात्रा पर से प्रतिबंध हटाने का ऐलान किया है. चीन के नागरिक उड्डयन प्रशासन ने 8 जनवरी से इन प्रतिबंधों को हटाने का ऐलान किया है. हालांकि इस संबंध में विशेषज्ञों ने चेतावनी भी जारी की है क्योंकि मामलों की अधिकता के चलते देश के सभी अस्पताल बुरी तरह से भरे हुए हैं. इतने खराब हालात में फिर से यात्रा शुरू करने के चीन के फैसले से एयरलाइंस कंपनियां भी चिंतित हैं. चीनी उड्डयन विभाग ने कहा है कि 8 जनवरी से उच्च जोखिम वाली घरेलू उड़ानों को नामित करना बंद कर दिया जाएगा, साथ ही 75 फीसदी की यात्री क्षमता को भी खत्म कर दिया जाएगा.
चीनी और विदेशी एयरलाइंस द्विपक्षीय समझौते के मुताबिक तय यात्री उड़ानों की व्यवस्था करेंगी. चीन की सरकार ने 8 जनवरी से आने वाले यात्रियों के लिए क्वारंटाइन करने की आवश्यकताओं को रद्द कर दिया है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक चीन में इस हफ्ते कोविड-19 के चलते सिर्फ एक मौत हुई जिसके चलते स्वास्थ्य विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों के बीच सरकार के आंकड़ों को लेकर संदेह पैदा हो गया.
चीन में कोविड के हालात बद से बदतर
चीन के अस्पतालों में सामान्य से पांच से छह गुना ज्यादा मरीज हैं. इसमें ज्यादातर बुजुर्ग हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में फिलहाल हर रोज लाखों मामले सामने आ रहे हैं. वहीं 2023 में चीन में कम से कम 10 लाख मौतों की भविष्यवाणी की जा रही है. चीन से इटली के मिलान पहुंची एक फ्लाइट के आधे से ज्यादा यात्री कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं. इसके बाद इटली ने चीन से आने वाले यात्रियों के लिए RT-PCR टेस्ट अनिवार्य कर दिया है.
चीन के ऊपर दुनिया को संदेह
अनेक देशों में चीन से आने वाले यात्रियों की कोविड-19 जांच अनिवार्य करने के कदम से यह वैश्विक चिंता साफ नजर आती है कि वायरस के प्रकोप के दौरान इसके नये स्वरूप सामने आ सकते हैं और इसे लेकर जानकारी का अभाव हो सकता है.
अभी तक वायरस के किसी नये स्वरूप की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन चीन पर 2019 के आखिर में उसके यहां सबसे पहले सामने आये वायरस के बारे में तभी से आगे आकर जानकारी नहीं देने का आरोप है. अब भी इस तरह की आशंका है कि चीन वायरस के ऐसे उभरते स्वरूपों के किसी भी संकेत पर जानकारी साझा नहीं करेगा जिनसे दुनिया में संक्रमण के अत्यधिक मामले आ सकते हैं.
चीन के फैसलों का पूरी दुनिया पर असर
वाशिंगटन में हडसन इंस्टीट्यूट नामक संस्थान में चीनी केंद्र के निदेशक माइल्स यू ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जो संशय और आक्रोश है, उसका चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सख्त पाबंदियों में अचानक ढील के फैसले से सीधा संबंध है.
यू ने एक ईमेल में कहा, ‘‘आप इतने लंबे समय तक शून्य-कोविड लॉकडाउन की बेवकूफी नहीं कर सकते जो विफल साबित हुआ हो… और फिर अचानक से चीन से संक्रमितों की भीड़ को बाहर निकलने के लिए आजाद कर दूसरे देशों में लाखों लोगों को संक्रमण के जोखिम में डाल दिया गया.’’