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देश में आमतौर पर 05 राज्यों में ही होता है सबसे ज्यादा अंगदान(maximum organ)

देश में अंगदान:देश में अंगदान यानि बॉडी आर्गन (maximum organ) डोनेशन की दर में दो साल बाद कुछ तेजी आई है. कोरोना के दौर में वर्ष 2020 में ये अगर कमोवेश खत्म ही हो गया था तो उसके बाद इसमें कुछ तेजी है. वर्ष 2021 में देशभर में 12,387 आर्गन्स मृत्यु उपरांत या जिंदा लोगों द्वारा दान किए गए. पिछले 05 सालों में ये सबसे बड़ा नंबर था.

सरकार के स्वास्थ्य महकमे ने खुद ये आंकड़े पेश किए हैं. पिछले 05 सालों में सबसे ज्यादा 12,746 अंगदान वर्ष 2019 में हुआ था. ज्यादातर उन लोगों के अंगदान परिजनों की स्वीकृति से किए जा रहे हैं, जो या ब्रेन डेड हो चुके हैं या फिर हृदय गति रुकने से जिनकी मृत्य हो गई.

हालांकि अंगदान भी आमतौर पर देश के 15 राज्यों में ही हो रहा है, ये दक्षिण और पश्चिम से ताल्लुक रखते हैं. मृत्यु उपरांत वर्ष 2021 में ज्यादा अंगदान हुए. कोरोना के दौर में यानि 2020 में कुल अंगदान की संख्या 7519 थी.

दिल्ली के साथ-साथ गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्य तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक अंगदान के मामले में सबसे आगे हैं. 2021 में हुए मृतकों के अंगदान में इन पांच राज्यों का 85 प्रतिशत हिस्सा था. इसका श्रेय इन राज्यों में मेडिकल हब और अधिक अनुभवी डॉक्टरों की उपलब्धता को दिया जा सकता है.

पिछले 05 वर्षों में गुजरात से 2891 अंगदान हुए हैं, जिनमें से 794 जीवित दानकर्ता थे. इसी तरह 2097 मृतक व्यक्तियों के दान थे. मौजूदा समय में हर मृतक दाता के औसतन 2.6 अंगों का ही उपयोग किया जाता है, इस संख्या में 08 के करीब लाने की कोशिश हो रही है.
हालांकि देहदान अब भी कम
देश में तकरीबन 63, 000 लोगों की मृत्यु रोज होती है लेकिन इसमें से केवल 0.001 फीसदी लोग ही अपनी देहदान करने का इंतजाम करके जाते हैं. देहदान की जुड़ी एक संस्था आर्गन इंडिया डॉट कॉम के अनुसार देश में करीब 50,000 लोगों को हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत है तो ढाई लाख लोगों को किडनी की जरूरत रहती है. ये तभी पूरी हो सकती है जबकि कोई अपने अंगों को दान कर दे. देश में हर साल 5 लाख लोग अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा करते हैं लेकिन इसकी मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतराल है.

डेड बॉडीज रिसर्च में बहुत काम आती हैं
मानव शरीर को दान करने के बाद तकरीन उसके सभी अंगों को जरूरतमंदों के शरीर में प्रत्यारोपित किया जा सकता है. इस मामले में हम लोग बहुत पीछे हैं. देहदान के बाद अगर शरीर के तमाम अंग जरूरतमंदों के काम आते हैं तो मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स और शोधकर्ताओं के लिए भी ये मानव देह समझने और रिसर्च करने के लिहाज से बहुत उपयोगी साबित होती है

कैसे करें देहदान
हालांकि अगर आपको ऐसा करना है तो स्थानीय मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों से इस बारे में संपर्क करना चाहिए. इस क्षेत्र में मदद के लिए कई एनजीओ भी काम कर रहे हैं. इसके लिए आपको पहले एक स्वीकृति पत्र दो लोगों की गवाही में भरना होता है. परिवार को भी आपके इस फैसले के बारे में अच्छी तरह मालूम होना चाहिए ताकि वो इस काम को पूरा कर सकें.

जागरूकता की कमी
दिक्कत ये है कि भारत में अब भी इसको लेकर जागरूकता की कमी तो है ही, साथ ही धार्मिक तौर पर भी लोग ऐसा करना ठीक नहीं मानते. चिकित्सा जगत के लिए मृतदेह अमूल्य है. ये दिग्गज सर्जंस के लिए भी यह देह रोशनी का काम करती है, जो कई जिंदगियां बचाने में काम आता है. वैसे अधिकतर निजी अस्पतालों में न तो देहदान के प्रति कोई जागरूकता है और ना ही स्पष्ट् जानकारी.

किस स्थिति में दान किया जा सकता है
ब्रेन डैड होने पर शरीर के सारे अंग दान किए जा सकते हैं. शरीर के मृत होने पर करीब 06 घंटे तक आंखों का दान किया जा सकता है. गुर्दे, फेफड़े, आंख, यकृत, कॉर्निया, छोटी आंत, त्वचा के ऊतक, हड्डी के ऊतक, हृदय वाल्व और शिराएं दान की जा सकती हैं और इनकी जरूरत लगातार बनी रहती है. अंगदान उन व्यक्तियों को किया जाता है, जिनकी बीमारियाँ अंतिम अवस्था में होती हैं तथा जिन्हें अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है.

दूसरे देशों में अंगदान की क्या स्थिति है
अंगदान में भारत दुनिया में काफी पीछे है. यहां 10 लाख की आबादी पर केवल 0.16 लोग अंगदान करते हैं। जबकि प्रति दस लाख की आबादी पर स्पेन में 36 लोग, क्रोएशिया में 35 और अमेरिका में 27 लोग अंगदान करते हैं.वर्ष 2018 में महाराष्ट्र में 132, तमिलनाडु में 137, तेलंगाना में 167 और आंध्रप्रदेश में 45 और चंडीगढ़ में केवल 35 अंगदान हुए. तमिलनाडु ने बीते कुछ समय में इस क्षेत्र में बेहतर काम किया है। यहाँ प्रत्येक वर्ष लगभग 80 हजार कॉर्निया का अंगदान होता है.
भारत के कितने अस्पतालों में ये सुविधा
भारत के सभी अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण संबंधी उपकरणों की व्यवस्था नहीं है. वर्ष 2017 के आंकड़ों के अनुसार, देश में लगभग 301 अस्पताल ऐसे हैंजिनमें अंग प्रत्यारोपण संबंधी उपकरण हैं, इनमें 250 अस्पताल ही राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के साथ रजिस्टर्ड हैं.

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